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प्रवचन-सारोद्धार
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आरे के मनुष्यों का देहमान तीन कोस का तथा आयु तीन पल्योपम की होती है। कल्पवृक्ष आदि अनेक शुभ-श्रेष्ठ वस्तुओं का सद्भाव इस आरे में होता है।
२. सुषमा सुखरूप काल। यह अवसर्पिणी का द्वितीय भाग है। इसका काल प्रमाण तीन कोड़ाकोड़ी सागरोपम का है। इस आरे के मनुष्यों का देहमान तथा आयु क्रमश: दो कोस, दो पल्योपम का है। कल्पवृक्ष आदि श्रेष्ठ वस्तुयें पूर्वापेक्षा हीनतर होती हैं।
बारह आरो का काल चक्र
h A A ३ सुषम दुःषम
२ को. को सागर
पर
I II २ सुषम 9. ३ को को सागर
प
शरीर १ गाऊ आयु १ पल्य
पालन ६४ पसली १२८ माहार १ दिन में आंवला प्रमाण ।
7 आयु १३० वर्ष
२१००० वर्ष
पसली १२८
स पि
घम ४ दुःषम सुषमा ५3 को. को. सागर
(४२००० वर्ष) न्यून/
पालन ६४ दिन
शरीर ५०० धनुष
आयु पूर्व क्रोड वर्ष
आहारादि अनियत
आहार : दिन में दोर प्रमाण
शरीर २ गाऊ
आयु २ पल्य
को.
शरीर ७ हाथ
के संतति पालन ४७ दिन
आयु २० वर्ष
४ कोडा कोडी सागर// १ सुषम सुषम
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५
१०
शरीर २ हाथ
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णी|| १०
१ दुःषम दुःषम/६ दुपा
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आयु २० वर्ष
२१००० वर्ष
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िणी ॥ १०
शरीर २ हाथ
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४ कोडा कोडी सागर / ।। ६ सुषम सुषम
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आयु १३० वर्ष
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शरीर ७ हाथ
२१०००
आयु पूर्व क्रोड वर्ष
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58 शरीर ५०० धनुषा
__ आहारादि अनियत
को.
आयु १ पल्य र शरीर १ गाऊ
आहार १ दिन में आंवला प्रमाण पसली १२८
पालन ६४ दिन
- आहार २ दिन में बोर प्रमाण |
शरीर २ गाऊ र आयु २ पल्य
8 पसली १२८ व
मो. सलग
ह पालन ६४ दिन
उ
सा
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