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द्वार नामावली
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१७७. विरहकाल १७८. लेश्या १७९. नारकावधि-ज्ञान १८०. परमाधामी १८१. लब्धिसंभव १८२. उपपात १८३. उत्पद्यमान १८४. उद्वर्तमान १८५. कायस्थिति १८६. भवस्थिति १८७. शरीर परिमाण १८८. इन्द्रिय-स्वरूप १८९. लेश्या १९०. गति १९१. आगति १९२. विरहकाल
-- नारकों की उत्पत्ति-नाश का विरहकाल । - नारकों की लेश्या। - नारकों का अवधिज्ञान । - परमाधार्मिक देवों का वर्णन । - नरक से निकले हुए जीव कितनी लब्धि प्राप्त कर सकते हैं? - नरक में कौन से जीव उत्पन्न होते हैं? - नरक में एक साथ उत्पन्न होने वाले जीवों की संख्या । - नरक में एक साथ मरने वाले जीवों की संख्या। - एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, असंज्ञी तथा संज्ञी जीवों की कायस्थिति । - एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, असंज्ञी तथा संज्ञी जीवों की भवस्थिति । - एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, असंज्ञी तथा संज्ञी जीवों का शरीर प्रमाण । - इन्द्रियों का आकार, विषय आदि। - एकेन्द्रिय आदि जीवों की लेश्या। - एकेन्द्रिय आदि जीवों की गति । - एकेन्द्रिय आदि जीवों की आगति । - पूर्वोक्त जीवों में से एक जीव के जन्म के बाद दूसरा जीव कितने समय में उत्पन्न होता है, एक जीव के मरने के बाद
दूसरा जीव कितने समय में मरता है, यह बताना। - एकेन्द्रियादि जीवों की एक साथ जन्मने व मरने की संख्या। - चारों निकाय के देवों की स्थिति । - चारों निकाय के देवों के भवन । - चारों निकाय के देवों का शरीर प्रमाण । - चारों निकाय के देवों की लेश्या।
चारों निकाय के देवों का अवधिज्ञान। - चारों निकाय के देवों की उत्पत्ति का विरह । - चारों निकाय के देवों का मरण-विरह । - चारों निकाय के देवों की एक साथ जन्म-मरण की संख्या। - चारों निकाय के देवों की गति । - चारों निकाय के देवों की आगति । - सिद्धि-गमन का अन्तर अर्थात् एक जीव के सिद्ध होने के पश्चात्
कितने समय के बाद दूसरा जीव सिद्ध होता है। - जीवों के आहार तथा श्वासोश्वास का कालमान ।
१९३. संख्या १९४. स्थिति १९५. भवन १९६. देहमान १९७. लेश्या १९८. अवधिज्ञान १९९. उत्पत्तिविरह २००. उद्वर्तनाविरह २०१. जन्म-मरण-संख्या २०२. गति २०३. आगति २०४. सिद्धि गति-अन्तर
२०५. आहार उच्छ्वास
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