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प्रवचन-सारोद्धार
प्रतिज्ञा- यह शास्त्र अनुपादेय है। हेतु- क्योंकि सम्बन्ध शून्य है (परम्परागत सम्बन्ध का अभाव है)। दृष्टांत- कल्पित शास्त्र की तरह।
सर्वज्ञमूलक शास्त्र विद्वानों का विशेष आदरपात्र बनता है अत: शास्त्र के प्रारम्भ में गुरुपरम्परागत सम्बन्ध (गुरुपर्वक्रम) अवश्य दिखाना चाहिये। इसीलिये शास्त्रकार प्रथम श्लोक में मंगल आदि का वर्णन करते हैं।
नमिऊण जुगाइजिणं वोच्छं भव्वाण जाणणनिमित्तं ।
पवयणसारुद्धारं गुरूवएसा समासेणं ॥१॥ श्री ऋषभदेव परमात्मा को नमस्कार करके भव्य प्राणियों के ज्ञान के लिये प्रवचन (द्वादशांगी) के सारभूत विषयों का संग्राहक 'प्रवचन-सारोद्धार' नामक ग्रन्थ गुरु के आदेश से संक्षेप में कहूँगा। ॥१॥ बौद्धों का पूर्वपक्ष
वस्तुत: आपका यह कथन घर में नाचने जैसा है। हाँ, शब्द और अर्थ का कोई सम्बन्ध होता तब तो आपका यह कथन (प्रवचन-सारोद्धार को कहूँगा) युक्तिसङ्गत होता, पर शब्द और अर्थ का कोई सम्बन्ध ही सिद्ध नहीं है। सम्बन्ध दो तरह के हैं—(१) तादात्म्य लक्षण और (२) तदुत्पत्ति लक्षण । पर शब्द और अर्थ के बीच ये दोनों ही सम्बन्ध नहीं घटते ।
शब्द और अर्थ का तादात्म्य सम्बन्ध मानें तो यह होगा कि जो अर्थ है वही शब्द है, और जो शब्द है वही अर्थ है। यदि ऐसा होता तो लड्डु का नाम लेते ही मुँह लड्ड से भर जाता। 'छुरी' शब्द बोलते ही मुँह, जीभ कट जाते परन्तु ऐसा नहीं होता, अत: शब्द अर्थ का तादात्म्य सम्बन्ध भी सिद्ध नहीं होता।
यदि तदुत्पत्ति लक्षण सम्बन्ध माने तो प्रश्न होगा कि शब्द अर्थ से पैदा होता है? या अर्थ शब्द से पैदा होता है? शब्द से अर्थ पैदा नहीं हो सकता। घटादि पदार्थ मिट्टी से पैदा होते देखे जाते हैं, शब्द से नहीं। यदि शब्द से अर्थ का उत्पन्न होना माने तो जगत में कोई दरिद्री ही नहीं रहेगा, ‘सुवर्ण' शब्द बोलते ही सामने सोने का ढेर लग जाएगा। ‘घट' बनाने के लिए कुम्हार मिट्टी आदि लाने का प्रयास ही क्यों करेगा? घट बोलते ही घडों का ढेर लग जाएगा। अतःन तो शब्द से अर्थ पैदा है, न अर्थ से शब्द । शब्द हमारे तालु-ओष्ठ-दाँत वगैरह अंगों द्वारा किये गये प्रयत्नों से उत्पन्न होते हैं। इस तरह शब्द और अर्थ के बीच सम्बन्ध का अभाव होने से आपका अभिधेयादि सूचक आदिवाक्य कि 'मैं' भव्य जीवों के लिये कहूँगा, यह निरर्थक है। बौद्धों के पूर्वपक्ष का निराकरण
जो हमारी मान्यता नहीं है, उस विषय में उपालंभ देना मात्र कंठशोषण करना है। वास्तव में
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