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प्रवचन-सारोद्धार
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६०. एक वसति में जिन-कल्पियों की
६१. यथालंदिक कल्प उत्कृष्ट संख्या
६३ ६२. परिहार विशुद्धितप
५. जीवस्वरूप-विभाग द्वार का नाम द्वार संख्या द्वार का नाम
द्वार संख्या जीव के चौदह भेद
२२२ २८. नारकों का अवधिज्ञान २. अजीव के चौदह भेद २२३ २९. परमाधामी
१८० ३. जीव संख्या कुलक
२१४ ३०. नरक में से निकले हुए को लब्धि ४. कुलकोटि संख्या
१५० की प्राप्ति योनि संख्या
१५१ ___३१. कौन-कौनसे जीव नरक में जाते हैं? संज्ञा के तीन भेद
१४४ ३२. एक समय में नरक में उत्पन्न होने वाले ७. संज्ञा के चार भेद
जीवों की संख्या
१८३ संज्ञा के दश भेद
___३३. एक समय में नरक से च्यवने वाले १. संज्ञा के पन्द्रह भेद
जीवों की संख्या
१८४ १०. प्राण के दश भेद
३४. एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय संज्ञी जीवों की ११. जीवों का आहार और श्वास ग्रहण
कायस्थिति
१८५ १२. पर्याप्ति के छ: भेद
३५. संज्ञी जीवों की भवस्थिति १३. समुद्घात के सात भेद
३६. एकेन्द्रियादि जीवों का शरीर प्रमाण १८७ १४. नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देवों की
३७. एकेन्द्रियादि जीवों की इन्द्रियों का स्वरूप विकुर्वणा का उत्कृष्ट काल
२३० और विषय-ग्रहण
१८८ १५. अनाहारी के चार भेद २३३ ३८. एकेन्द्रियादि जीवों की लेश्या
१८९ १६. पाहारक स्वरूप २७३ ३९. एकेन्द्रियादि जीवों की गति
१९० १७. लब्धियाँ
२७० ४०. एकेन्द्रियादि जीवों की आगति मरण के सत्रह प्रकार
१५७ ४१. एकेन्द्रियादि जीवों का जन्म-मरण का जीव-अजीव का अल्पबहुत्व
२६३ विरह काल २०. तिर्यंच, मनुष्य और देव की अपेक्षा
४२. एकेन्द्रियादि जीवों की जन्म-मरण कितनी अधिक स्त्रियाँ?
१३७ की संख्या
१९३ २१. नारकों के सात भेद १७२ ४३. देवों की स्थिति
१९४ २२. नारकों के आवास १७३ ४४. देवों के भवन
१९५ २३. नारकों की वेदना
देवों के शरीर की अवगाहना २४. नारकों का आयुष्य
४६. देवों की लेश्या
१९७ २५. नारकों का शरीर प्रमाण
१७६ ४७. देवों का अवधिज्ञान २६. नारकों की उत्पत्ति और च्यवन का
४८. देवों का प्रविचार
२६६ विरह-काल १७७ ४९. देवों की उत्पत्ति का विरहकाल
१९९ २७. नारकों की लेश्या १७८ ५०. देवों के च्यवन का विरह काल
२००
२३१
१९६
१७४ १७५
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