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प्रवचन-सारोद्धार
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द्वारों का अनुक्रम
'गागर में सागर' का उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस ग्रन्थ में अनेक द्वार एक विषय से संबद्ध हैं पर वे क्रमबद्ध नहीं हैं, अलग-अलग बिखरे हुए हैं। मैंने इस ग्रन्थ का परिशीलन किया तब येह चिन्तन उभरा कि क्यों नहीं अलग-अलग बिखरे द्वारों का विषय के अनुरूप संकलन कर, अलग-अलग विभाग बना दिये जाये तथा विषय के अनुरूप विभागों का नामकरण कर दिया जाये? इस प्रकार एक विषय से संबद्ध सामग्री एक स्थान पर उपलब्ध हो जाने से पाठकों को अध्ययन में सुगमता रहेगी। नीचे प्रस्तुत है नौ विभागों में विभक्त २७६ द्वारों की विषयबद्ध सूची।
१. विधि-विभाग द्वार का नाम द्वार संख्या द्वार का माम
द्वार संख्या । १. चैत्यवंदन द्वार १ ६. दिवस सम्बन्धी वंदन संख्या
७५ २. वंदन द्वार २ ७. रात्रि जागरण
१२८ ३. प्रतिक्रमण द्वार
८. आलोचना दाता की गवेषणा
१२९ ४. प्रत्याख्यान द्वार ४ ९. असज्झाय
२६८ ५. निर्यामक मुनि
७१
२. आराधना-विभाग द्वार का नाम द्वार संख्या द्वार का नाम
द्वार संख्या १. वीशस्थानक
१० ५. बाईस परिषह २. विनय के बावन भेद
६. कायोत्सर्ग द्वार ३. ब्रह्मचर्य के अठारह भेद
१६८ ७. पच्चीस शुभ-भावना ४. इन्द्रियजयादि तप
२७१ ८. पच्चीस अशुभ-भावना ३. सम्यक्त्व और श्रावकधर्म-विभाग द्वार का नाम द्वार संख्या द्वार का नाम
द्वार संख्या १. सम्यक्त्व के सड़सठ भेद __१४८ ४. सामायिक के चार आकर्ष सम्यक्त्व के प्रकार १४९ ५. अणुव्रत के भांगे
२३६ ३. श्रुत में सम्यक्त्व ११३ ६. श्रावक प्रतिमा
१५३
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