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प्रवचन-साराद्धार
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-गाथार्थछेदग्रन्थों में वर्णित समाचारी पदविभाग समाचारी है ।।७५९ ॥
-विवेचन पदविभाग समाचारी-जीतकल्प, निशीथ आदि में वर्णित समाचारी।
तथाविध श्रुतज्ञान से विकल, वर्तमानकालीन मुनियों का आयुबल हीन देखकर ज्ञानियों ने नवम पूर्व की आचार नामक तृतीय वस्तु के बीसवें प्राभृत के अन्तर्गत ओघप्राभृत प्राभृत से निकालकर 'ओघ समाचारी' की रचना की। पदविभाग समाचारी भी नवमें पूर्व से ही उद्धृत की गई है ॥ ७५९ ।।
|१०१ द्वार:
चक्रवाल-समाचारी
इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवस्सिया य निसीहिया। आपुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा ॥७६० ॥ उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ। एएसिं तु पयाणं पत्तेयपरूवणं वोच्छं ॥७६१ ॥ जइ अब्भत्थिज्ज परं कारणजाए करेज्ज से कोई। तत्थ य इच्छाकारो न कप्पइ बलाभिओगो उ ॥७६२ ॥ संजमजोए अब्भुट्ठियस्स जं किंपि वितहमायरियं ।। मिच्छा एयंति वियाणिऊण मिच्छत्ति कायव्वं ॥७६३ ॥ कप्पाकप्पे परिनिट्ठियस्स ठाणेसु पंचसु ठियस्स। संयमतवड्दगस्स उ अविकप्पेणं तहक्कारो ॥७६४ ॥ आवस्सिया विहेया अवस्सगंतव्वकारणे मुणिणो। तम्मि निसीहिया जत्थ सेज्जठाणाइ आयरइ ॥७६५ ॥ आपुच्छणा उ कज्जे पुव्वनिसिद्धेण होइ पडिपुच्छा। पुव्वगहिएण छंदण निमंतणा होअगहिएणं ॥७६६ ॥ उवसंपया य तिविहा नाणे तह दंसणे चरिते य। एसा हु दसपयारा सामायारी तहऽन्ना य ॥७६७ ॥ पडिलेहणा पमज्जण भिक्खि-रियाऽऽलोय भुंजणा चेव।
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