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द्वार ९७-९८
शम्बूका-शंख के आवर्त की तरह भिक्षा के लिये भ्रमण करना शंबूकावीथि है। इसके दो भेद
(vii) आभ्यन्तरशंबूका-शंख के आवर्त की तरह क्षेत्र के मध्यभाग से भिक्षा ग्रहण करते-करते बाहर की ओर आना।
(viii) बहिर्शबूका-गाँव के बाहर से गोलाकार में भिक्षा ग्रहण करते-करते भीतर की ओर जाना।
पंचाशकवृत्ति के अनुसार शंबूकाकार भिक्षा पद्धति दो तरह की है-(i) दांए से बाएं गोलाकार में गमन करना, (ii) बांए से दाएं गोलाकार में गमन करना।
अन्यग्रन्थों में पहली, दूसरी तथा दोनों तरह की शंबूका वीथी एक मानी जाती है अत: भिक्षा वीथी आठ की जगह छ: ही होती है ॥७४९ ।।
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गोमूत्रिका
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गत्वा प्रत्यागति
उपा
ऋजुगति
पंतगवीथि
बाह्य शम्बूका
पेटा
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1
NAAD
S
अभ्यन्तर शम्बूका
अर्ध पेटा
९८ द्वारः |
प्रायश्चित्त
आलोयण पडिक्कमणे मीस विवेगे तहा विउस्सग्गे। तव च्छेय मूल अणवट्ठिया य पारंचिए चेव ॥७५० ॥ आलोइज्जइ गुरुणो पुरओ कज्जेण हत्थसयगमणं ।
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