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प्रवचन-सारोद्धार
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उत्पादना दोष : १६
१. धात्री दोष-धात्री = बच्चों को दूध आदि पिलाने हेतु रखी जाने वाली बाल-पालिका। इसके पाँच कार्य हैं
(i) दूध पिलाना, (ii) स्नान-मंजन कराना, (iii) गहना-कपड़ा पहनाना, शृंगार कराना, (iv) क्रीड़ा कराना, (v) गोद में लेकर खिलाना/सुलाना आदि ।
धात्रीपन करने-कराने के द्वारा माता-पिता को खुश करके भिक्षा लेना 'धात्री दोष' है।
कोई मुनि भिक्षा हेतु गृहस्थ के घर गया, वहाँ बच्चे को रोते देखकर कहे कि बालक भूख से रो रहा है अत: मुझे शीघ्र भिक्षा देकर बच्चे को दूध पिलाओ, अथवा पहले बच्चे को दूध पिलाकर फिर मुझे भिक्षा देना, अथवा मैं अभी जाता हूँ तुम पहले बच्चे को दूध पिला दो, मैं फिर भिक्षा के लिए आऊँगा, अथवा तुम बच्चे की चिन्ता मत करो, मैं इसके दूध की व्यवस्था करता हूँ तथा कहे कि दूध पिलाने से बालक बुद्धिमान, नीरोगी व दीर्घायु होता है। अपमानित करने से मंदमति, रोगी तथा अल्पायु होता है, अथवा पुत्र की प्राप्ति होना बड़ी दुर्लभ है अत: तुम सारे काम छोड़कर पहले पुत्र को दूध पिलाओ। धात्रीपन के दोष
• बच्चे की माता साधु के प्रति आकर्षित होकर, साधु को आधाकर्मी आदि आहार भिक्षा दे। • देखने वाले गलत सोचें कि इस साधु का औरत के साथ अवश्य कुछ सम्बन्ध होना चाहिये। • यदि माता तुच्छ स्वभाव की हो तो सोचे कि 'इस साधु को दूसरों की चिन्ता करने की क्या
आवश्यकता है?' • कदाचित् बच्चा बीमार हो जाये तो माता को साधु पर सन्देह हो सकता है कि इसने मेरे
बच्चे को बीमार कर दिया और वह साधु के साथ झगड़ा करे, इससे धर्म की अवहेलना
होती है।
अथवा एक धात्री को निकलवाकर उसके स्थान पर दूसरी को रखवाना धात्रीदोष है। जैसे—साधु भिक्षा हेतु किसी के घर गया, वहाँ औरत को शोकमग्न देखकर उसे पूछे—“तुम दुःखी क्यों हो?"
औरत कहे कि “आपको कहने से क्या लाभ? दुःख तो उसे कहना चाहिये जो उसे दूर कर सके।" मुनि कहे “मेरे सिवा तुम्हारा दुःख दूर करने वाला अन्य कौन है ?" तब औरत कहे कि “मैं धात्री हूँ, किन्तु दूसरी धात्री ने मुझे नौकरी से निकलवा दिया है।” साधु अभिमानपूर्वक कहे “जब तक तुझे पुन: वहाँ न लगा दूँ तब तब तेरे घर की भिक्षा नहीं लूँगा।" ऐसा कहकर दूसरी धात्री के बारे में पूछताछ करे कि-'वह धात्री वृद्धा है या युवा? मोटी है या पतली? काली है या गौरी? पुष्ट स्तनवाली है या कृशस्तन वाली?' इस प्रकार उस धात्री के बारे में जानकर, घर के मालिक के सामने उसके दोष बताये, बालक के पोषण के लिये उसे अयोग्य साबित करे। कहे कि 'यह वृद्धा होने से निर्बल है। इसका दूध पीने से बालक भी निर्बल होगा। यह धात्री स्थूलस्तनवाली है, इसके स्तन के बोझ से बच्चे की नाक चिपटी होने का डर है। यह धात्री कृशस्तनवाली है, इसका स्तनपान करने के लिए बच्चे को
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