SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 280
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवचन-सारोद्धार २१७ -विवेचनसंस्थान = आकार । सिद्ध होने के पश्चात् आत्मप्रदेशों की रचना-अवस्थान सिद्धों का संस्थान भव = शरीर । कर्मपरवश आत्मा जिसमें उत्पन्न होती है वह शरीर । मनुष्यभव में जिस आत्मा का जितना शरीर प्रमाण होता है, सिद्धावस्था में उसका संस्थान, उसकी अपेक्षा : भाग न्यून होता है। जैसे, ५०० धनुष की अवगाहना वाले मनुष्य का सिद्धावस्था में संस्थान ३३३२ धनुष का रहता है। दो हाथ की जघन्य अवगाहना वाले मनुष्य का संस्थान सिद्धावस्था में १ हाथ ८ अंगुल होता है। क्योंकि सिद्धिगमन से पूर्व शरीर का त्याग करते समय शरीर के - भाग में रहे हुए आत्मप्रदेशों से मुख, पेट, नाक आदि के छिद्रों को भरने की प्रक्रिया होती है अत: सिद्धों का संस्थान देह की अपेक्षा २ भाग का ही होता है। . सिद्धों का अवस्थान भिन्न-भिन्न आकार में होता है। जिस अवस्था में आत्मा सिद्धि प्राप्त कता है, उसी अवस्था में वह सिद्धरूप में रहता है जैसे कुछ आत्मा खड़े-खड़े ध्यान में मोक्ष जाते हैं तो वे वहाँ भी उसी अवस्था में विराजमान रहते हैं। कोई उत्तानाकार....कोई अर्धावनत..कोई बैठा हुआ तो कोई लेटा हुआ रहता है ।। ४८२-४८४ ॥ ५५ द्वार: अवस्थान ईसिप्पन्भाराए उवरिं खलु जोयणस्स जो कोसो। कोसस्स य छब्भाए सिद्धाणोगाहणा भणिया ॥४८५ ॥ अलोए पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पइट्ठिया। इहं बोंदिं चइत्ताणं, तत्थ गंतूण सिज्झइ ॥४८६ ॥ -गाथार्थसिद्धशिला का वर्णन-ईषत्प्राग्भारा नामक सिद्धशिला के ऊपरवर्ती योजन के : भाग के छठे भाग में सिद्धों की अवगाहना है। यहाँ काययोग का त्यागकर सिद्धात्मा, लोक के अग्रभाग पर अलोक को छूते हुए सिद्ध होते हैं ।।४८५-४८६ ।। -विवेचनसर्वार्थसिद्ध विमान से १२ योजन ऊपर ४५ योजन विस्तार वाली (गोल होने से लंबाई-चौड़ाई समान है) “ईषतप्राग्भारा” नाम की “सिद्धशिला" है। यह शिला मध्य के आठ योजन क्षेत्र में आठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy