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-गाथार्थ
गृहिलिंग अन्यलिंग - स्वलिंग सिद्ध की संख्या- में एक सौ आठ एक समय में सिद्ध होते हैं || ४७६ ।। -विवेचन
गृहीलिंग सिद्ध
एक समय एक समय में अन्यलिंग सिद्ध एक समय में स्वलिंगसिद्ध
५२. द्वार :
-गृहस्थलिंग में चार, अन्यलिंग में दस, स्वलिंग
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द्वार ५१-५२
४ उत्कृष्टतः
१० उत्कृष्टतः
१०८ उत्कृष्टतः ।। ४७६ ।।
निरन्तर - सिद्ध
बत्तीसाई सिज्झति अविरयं जाव अट्ठअहियसयं । अट्ठसमएहिं एक्केक्कूणं जावेक्कसमयंमि ॥४७७ ॥ बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी य बोद्धव्वा । चुलसीई छन्नउई दुरहियमट्ठोत्तरसयं च ॥४७८ ॥ -गाथार्थ
निरन्तर सिद्धिगमन की संख्या - उत्कृष्टतः ८ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं। तत्पश्चात् निश्चितरूप से सिद्धिगमन का अन्तर पड़ता है। इसमें एक-एक समय में क्रमश: ३२, ४८, ६०५ ७२, ८४, ९६, १०२ और १०८ सिद्ध होते हैं ।।४७७-४७८ ।।
-विवेचन
१ से ३२ ८ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं । पहले समय में जघन्यतः १-२ उत्कृष्टतः ३२ सिद्ध होते हैं । दूसरे समय में जघन्यतः १-२ उत्कृष्टतः ३२ सिद्ध होते हैं ।
तीसरे समय में जघन्यतः १-२ उत्कृष्टतः ३२ सिद्ध होते हैं ।
इस प्रकार ८ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं। बाद में अवश्य अन्तर पड़ता है । ३३ से ४८... .. निरन्तर ७ समय तक सिद्ध होते हैं । पहले समय में जघन्यतः ३३ ३४, यावत् ४८ तक दूसरे समय में जघन्यतः ३३ - ३४, यावत् ४८ तक तीसरे समय में जघन्यत: ३३-३४, यावत् ४८ तक
सिद्ध होते हैं ।
इस प्रकार ७ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं। बाद में अवश्य अन्तर पड़ता है ।
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सिद्ध होते हैं ।
सिद्ध होते हैं ।
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