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________________ २१२ -गाथार्थ गृहिलिंग अन्यलिंग - स्वलिंग सिद्ध की संख्या-‍ में एक सौ आठ एक समय में सिद्ध होते हैं || ४७६ ।। -विवेचन गृहीलिंग सिद्ध एक समय एक समय में अन्यलिंग सिद्ध एक समय में स्वलिंगसिद्ध ५२. द्वार : -गृहस्थलिंग में चार, अन्यलिंग में दस, स्वलिंग Jain Education International द्वार ५१-५२ ४ उत्कृष्टतः १० उत्कृष्टतः १०८ उत्कृष्टतः ।। ४७६ ।। निरन्तर - सिद्ध बत्तीसाई सिज्झति अविरयं जाव अट्ठअहियसयं । अट्ठसमएहिं एक्केक्कूणं जावेक्कसमयंमि ॥४७७ ॥ बत्तीसा अडयाला सट्ठी बावत्तरी य बोद्धव्वा । चुलसीई छन्नउई दुरहियमट्ठोत्तरसयं च ॥४७८ ॥ -गाथार्थ निरन्तर सिद्धिगमन की संख्या - उत्कृष्टतः ८ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं। तत्पश्चात् निश्चितरूप से सिद्धिगमन का अन्तर पड़ता है। इसमें एक-एक समय में क्रमश: ३२, ४८, ६०५ ७२, ८४, ९६, १०२ और १०८ सिद्ध होते हैं ।।४७७-४७८ ।। -विवेचन १ से ३२ ८ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं । पहले समय में जघन्यतः १-२ उत्कृष्टतः ३२ सिद्ध होते हैं । दूसरे समय में जघन्यतः १-२ उत्कृष्टतः ३२ सिद्ध होते हैं । तीसरे समय में जघन्यतः १-२ उत्कृष्टतः ३२ सिद्ध होते हैं । इस प्रकार ८ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं। बाद में अवश्य अन्तर पड़ता है । ३३ से ४८... .. निरन्तर ७ समय तक सिद्ध होते हैं । पहले समय में जघन्यतः ३३ ३४, यावत् ४८ तक दूसरे समय में जघन्यतः ३३ - ३४, यावत् ४८ तक तीसरे समय में जघन्यत: ३३-३४, यावत् ४८ तक सिद्ध होते हैं । इस प्रकार ७ समय तक निरन्तर सिद्ध होते हैं। बाद में अवश्य अन्तर पड़ता है । For Private & Personal Use Only सिद्ध होते हैं । सिद्ध होते हैं । www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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