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________________ २०४ ४४. द्वार : ५. १९. ४५. द्वार : जिनेश्वरों का केवलज्ञानकालीन तप ज्ञानतप-- किस तीर्थंकर परमात्मा को कितने भक्त के पश्चात् केवलज्ञान प्राप्त हुआ ? १-४. ऋषभदेव, मल्लिनाथ, पार्श्वनाथ, नेमिनाथ को अष्टम भक्त के पश्चात् वासुपूज्य को चतुर्थ भक्त के पश्चात् शेष १९ तीर्थंकरों को छट्ट भक्त के पश्चात् केवलज्ञान प्राप्त हुआ ।। ४५५ ।। १. २. १२. अट्ठमभत्तवसाणे पासोसहमल्लिरिट्ठनेमीणं । वसुपुज्जस्स चउत्थेण छट्टभत्तेण सेसाणं ॥ ४५५ ॥ -विवेचन जिनश्वरों का निर्वाणकालीन तप निर्वाण तप-किस तीर्थंकर परमात्मा ने कितने भक्त करके निर्वाण प्राप्त किया ? चौदह भक्त (छ: उपवास) के पश्चात् ऋषभदेव वीरजिन शेष २२ जिन ४६. द्वार : Jain Education International केवलज्ञान तप / निव्वाणं संपत्तो चउदसभत्तेण पढमजिणचंदो | सेसा उ मासिएणं वीरजिणिदो य छट्ठेणं ॥ ४५६ ॥ -विवेचन द्वार ४४-४६ निर्वाण तप For Private & Personal Use Only छट्ठ भक्त के पश्चात् तीस उपवास के पश्चात् निर्वाण को प्राप्त हुए ॥ ४५६ ॥ वीरवरस्स भगवओ वोलिय चुलसीइवरिससहसेहिं । पउमाईचउवीसं जह हुंति जिणा तहा थुणिमो ॥४५७ ॥ पढमं च पउमनाहं सेणियजीवं जिणेसरं नमिमो । भावी तीर्थंकर www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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