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प्रवचन-सारोद्धार
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९. टट्टी-पेशाब करना।
१०. स्नानादि करना। ११. केश काटना (मुंडन करना)। १२. नाखून काटना। १३. रक्त आदि डालना।
१४. मिठाई आदि खाना। १५. घाव आदि को कुरेदना । १६. दवाई आदि लेकर पित्त निकालना। १७. वमन करना।
१८. दाँत आदि फेंकना या साफ करना। १९. मालिश करना।
२०. गाय, भैंस, बकरी आदि बाँधना । २१-२८. दाँत, नाक, आँख, कान, नाखून, २९. भूत आदि के मंत्र की साधना एवं राजा गाल, सिर और शरीर का मैल
आदि के कार्य की चर्चा करना। डालना। ३०. सगाई, विवाह आदि तय करना। ३१. हिसाब-किताब करना। ३२. धन आदि का बँटवारा करना। ३३. निजी सम्पत्ति मंदिर में रखना। ३४. अनुचित आसन से बैठना, ३५-३९. गोबर, वस्त्र, दाल, पापड़ बड़ी आदि जैसे पाँव पर पाँव रखकर
सुखाना। बैठना। ४०. राजा, भाई, बन्धु व लेनदार ४१. पुत्र, स्त्री आदि के वियोग में रुदन करना।
के भय से मंदिर के गुप्तग्रह
आदि में छुपना। ४२. विकथा करना।
४३. गन्ने आदि को साफ करना।
ग आदि बनाना। ४४. गाय, घोड़ा आदि रखना। ४५. आग जलाकर तापना। ४६. रसोई बनाना।
४७. सिक्के आदि का परीक्षण करना। ४८. यथाविधि निस्सीहि न करना। ४९-५२. छत्र, चामर, शस्त्र, उपानह आदि धारण
करना। ५३. मन को स्थिर न करना। ५४. हाथ-पैर आदि दबाना । ५५. सचित्त का त्याग न करना। ५६. अचित्त, हार, अंगूठी आदि आभूषणों का
त्यागकर मंदिर में जाना (इससे लोकापवाद होने की संभावना है कि “यह भिखारियों
का धर्म है")। ५७. जिनेश्वर को देखते ही नमस्कार ५८. एक वस्त्र का उत्तरासन धारण न करना।
न करना।
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