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________________ १८६ द्वार ३५ तीर्थंकर....१ खाने में शून्य.... १ खाने में नमि तीर्थंकर.... १ खाने में शून्य.... १ खाने में नेमि तीर्थंकर.... १ शून्य तथा अन्तिम २ खानों में २ पार्श्व-महावीर तीर्थंकर की स्थापना करना चाहिये ।। ४०६-४०७ ।। दूसरी पंक्ति की स्थापना—दूसरी पंक्ति के खड़े ३२ खानों में से प्रथम २ खानों में प्रथम २ चक्रवर्ती के नाम लिखना। पश्चात् १३ खानों में शून्य.... ५ खानों में मघवा आदि ५ चक्रवर्ती के नाम.... १ खाने में शून्य..... पश्चात् १ खाने में चक्रवर्ती..... २ खाने में शून्य..... १ खाने में चक्रवर्ती..... १ शून्य..... २ खाने में चक्रवर्ती..... १ खाने में शून्य..... १ खाने में चक्रवर्ती तथा २ खाने में शून्य लिखना ॥ ४०८ ।।। तीसरी पंक्ति की स्थापना-तीसरी पंक्ति के खड़े ३२ खानों में से प्रथम १० खानों में शून्य लिखना। पश्चात् ५ खानों में त्रिपृष्ठ आदि ५ वासुदेवों के नाम लिखना। उसके बाद ५ खानों में शून्य लिखना। फिर १ खाने में वासुदेव.... १ खाने में शून्य.... १ खाने में वासुदेव। ....२ खाने में शून्य..... १ खाने में वासुदेव .... २ खाने में शून्य.... १ खाने में वासुदेव तथा अन्तिम तीन खानों में ३ शून्य लिखना ॥ ४०९॥ चतुर्थ पंक्ति की स्थापना—चतुर्थ पंक्ति के खड़े खानों में तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं वासुदेव के देहमान की संख्या लिखनी चाहिये । प्रथम खाने में ऋषभदेव और भरतमहाराजा का ५०० धनुष का देहमान लिखना। द्वितीय खाने में ४५० धनुष लिखना जो अजितनाथ और सगरचक्रवर्ती का देहमान है। तत्पश्चात् ७ खानों में पूर्वापेक्षा ५०-५० धनुष न्यून करते हुए लिखना ताकि सुविधिनाथ का देहमान १०० धनुष का रह जाय। १०वें खाने में शीतलनाथ का ९० धनुष.... ग्यारहवें खाने में श्रेयांसनाथ और त्रिपृष्ठ वासुदेव का ८० धनुष...१२वें खाने में वासुपूज्य स्वामी और द्विपृष्ठ वासुदेव का ७० धनुष... १३वें खाने में विमलनाथ और स्वयंभू वासुदेव का ६० धनुष... १४वें खाने में अनंतनाथ और पुरुषोत्तम वासुदेव का ५० धनुष... १५वें खाने में धर्मनाथ और पुरुषसिंह वासुदेव का ४५ धनुष... १६वें खाने में मधवा चक्रवर्ती का ४२ : धनुष... १७वें खाने में सनत्कुमार चक्रवर्ती का ४१ - धनुष... १८वें खाने में शान्तिनाथ का ४० धनुष... १९वें खाने में कुंथुनाथ का ३५ धनुष... २०वें खाने में अरनाथ का ३० धनुष.... २१वें खाने में पुरुष पुंडरीक वासुदेव का २९ धनुष... २२वें खाने में सुभूम चक्रवर्ती का २८ धनुष... २३वें खाने में दत्त वासुदेव का २६ धनुष..... २४वें खाने में मल्लिनाथ का २५ धनुष.... २५वें खाने में मुनिसुव्रतस्वामी और महापद्म चक्रवर्ती का २० धनुष...२६वें खाने में नारायण (लक्ष्मण) वासुदेव का १६ धनुष.... २७वें खाने में हरिषेण चक्रवर्ती का १५ धनुष.... २८ वें खाने में जय चक्रवर्ती का १२ धनुष.... २९वें खाने में नेमिनाथ और कृष्ण वासुदेव का १० धनुष... ३०वें खाने में ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती का ७ धनुष..... ३१वें खाने में पार्श्वनाथ का ९ हाथ का देहमान...और ३२वें खाने में महावीर स्वामी का ७ हाथ का देहमान लिखना ।। ४१०-४१८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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