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प्रवचन-सारोद्धार
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-गाथार्थजिनेश्वरों का अन्तरकाल-ऋषभदेव स्वामी के निर्वाण के ५० लाख क्रोड़ सागरोपम व्यतीत होने के पश्चात् अजितनाथ परमात्मा का निर्वाण हुआ॥ ३९३ ।।
अजितनाथ के निर्वाण के ३० लाख क्रोड़ सागर के पश्चात् संभवनाथ का, उनके निर्वाण के १० लाख क्रोड़ सागर के पश्चात् अभिनन्दन स्वामी का तथा उनके निर्वाण के ९ लाख क्रोड़ सागर व्यतीत होने पर सुमतिनाथ का निर्वाण हुआ॥ ३९४ ।।
सुमतिनाथ के निर्वाण से ९० हजार क्रोड़ सागर के बाद पद्मप्रभ का तथा उनके निर्वाण से २ हजार क्रोड सागर के पश्चात् सपार्श्वनाथ का निर्वाण हुआ। ३९५ ॥
सुपार्श्वनाथ के निर्वाण से ९०० सौ क्रोड़ सागर बीतने के पश्चात् चन्द्रप्रभु का निर्वाण तथा उनसे ९० क्रोड़ सागर बीतने के पश्चात् सुविधिनाथ का निर्वाण हुआ॥ ३९६ ।।
सुविधिनाथ के निर्वाण के ९ क्रोड़ सागर के पश्चात् शीतलनाथ का निर्वाण हुआ और उनके निर्वाण के बाद १०० सागरोपम, ६६ लाख व २६ हजार वर्ष न्यून एक क्रोड़ सागर बीतने पर श्रेयांसनाथ का निर्वाण हुआ॥ ३९७-३९८ ।।
श्रेयांसनाथ के निर्वाण के ५४ सागरोपम बाद वासुपूज्य स्वामी निर्वाण को प्राप्त हुए। उनके निर्वाण के ३० सागरोपम के पश्चात् विमलनाथ का निर्वाण हुआ ॥ ३९९ ।।
विमलनाथ के निर्वाण के ९ सागरोपम के बाद अनन्तनाथ का निर्वाण हुआ। तत्पश्चात् ४ सागर के बाद धर्मनाथ का निर्वाण हुआ। उसके बाद ३/४ पल्योपम न्यून ३ सागरोपम के पश्चात् शान्तिनाथप्रभु निर्वाण को प्राप्त हुए। ३/४ पल्योपम में से २/४ पल्योपम बीतने पर कुंथुनाथ का निर्वाण हुआ। १००० क्रोड़ वर्ष न्यून १/४ पल्योपम के बाद अरनाथ का निर्वाण हुआ॥ ४००-४०१ ।।
अरनाथ के निर्वाण के १००० क्रोड़ वर्ष के बाद मल्लिनाथ का निर्वाण हुआ। उसके ५४ लाख वर्ष के बाद मुनिसुव्रत स्वामी का निर्वाण हुआ। तत्पश्चात् ६ लाख वर्ष के बाद नमिनाथ का निर्वाण हुआ। तदनन्तर ५ लाख वर्ष के बाद नेमिनाथ का निर्वाण हुआ और उसके ८३,७५० वर्ष के बाद पार्श्वनाथ का निर्वाण हुआ।। ४०२-४०३ ।।
पार्श्वनाथप्रभु के निर्वाण के २५० वर्ष बीतने पर भगवान महावीर का निर्वाण हुआ। दुष्षम और अतिदुष्पम दोनों आरों का काल परिमाण ४२००० हजार वर्ष मिलाने पर ऋषभदेव परमात्मा के निर्वाण से लेकर भगवान महावीर के निर्वाण पर्यंत का सम्पूर्ण काल १ कोडाकोड़ी सागर प्रमाण होता है ।। ४०४-४०५ ।।
तीर्थकर चक्रवर्ती वासुदेव आदि का अन्तर, देह और आयु-परिमाण यंत्र
पहली पंक्ति की स्थापना-बत्तीस खाने बनाने के लिये तिर्यक् ३३ रेखायें खींचकर खड़ी ६ रेखायें खींचना जिससे खड़े ३२-३२ खाने व तिरछे ५-५ खाने बन जायें। प्रथम पंक्ति के खड़े १५ खानों में ऋषभदेव से धर्मनाथ पर्यन्त १५ तीर्थंकर के नाम लिखना। पश्चात् २ खानों में शून्य लिखना। पुन: ३ खानों में शान्तिनाथ आदि ३ तीर्थंकर...३ खाने में शून्य....२ खाने में मल्लि-मुनिसुव्रत
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