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________________ द्वार ३५ १८४ बारस जयनामस्स य नेमीकण्हाण दसधणुच्चत्तं । सत्तधणु बंभदत्तो नव रयणीओ य पासस्स ॥ ४१७ ॥ वीरस्स सत्त रयणी उच्चत्तं भणियमाउअं अहुणा। पंचमघरयनिविट्ठ कमेण सव्वेसिं वोच्छामि ॥ ४१८ ॥ उसहभरहाण दोण्हवि चुलसीई पुव्वसयसहस्साइं। अजियसगराण दोण्हवि बावत्तरि सयसहस्साइं ॥ ४१९ ॥ पुरओ जहक्कमेणं सट्ठी पण्णस चत्त तीसा य। वीसा दस दो चेव य लक्खेगो चेव पुव्वाणं ॥ ४२० ॥ सेज्जंसतिविणं चुलसीई वाससयसहस्साई । पुरओ जिणकेसीणं धम्मो ता जाव तुल्लमिणं ॥ ४२१ ॥ कमसो बावत्तरि सट्ठि तीस दस चेव सयसहस्साइं। मघवस्स चक्किणो पुण पंचेव य वासलक्खाइं ॥ ४२२ ॥ तिन्नि य सणंकुमारे संतिस्स य वासलक्खमेगं तु । पंचाणउइ सहस्सा कुंथुस्स वि आउयं भणियं ॥ ४२३ ॥ चुलसीइ सहस्साइं तु आउयं होइ अरजिणिंदस्स। पणसट्ठिसहस्साइं आऊ सिरिपुंडरीयस्स ॥ ४२४ ॥ सट्ठिसहस्स सुभूमे छप्पन्न सहस्स हुंति दत्तस्स । पणपण्णसहस्साई मल्लिस्सवि आउयं भणियं ॥ ४२५ ॥ सुव्वयमहपउमाणं तीस सहस्साइं आउयं भणियं । बारस वाससहस्सा आऊ नारायणस्स भवे ॥ ४२६ ॥ दस वाससहस्साई नमिहरिसेणाण हुंति दुण्हंपि। तिण्णेव सहस्साई आऊ जयनामचक्किस्स ॥ ४२७ ॥ वाससहस्सा आऊ नेमीकण्हाण होइ दोण्हंपि। सत्त य वाससयाइं चक्कीसरबंभदत्तस्स ॥ ४२८ ॥ वाससयं पासस्स य वासा बावत्तरिं च वीरस्स। इय बत्तीस घराइं समयविहाणेण भणियाइं ॥ ४२९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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