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प्रवचन-सारोद्धार
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जिननाम
सर्वायु
शिवगमन परिवार | जिननाम
सर्वायु
शिवगमन परिवार
१. ऋषभ ८४ लाख पर्व १०००० २. अजित १२ लाख पूर्व १००० ३. संभव ६० लाख पूर्व १०००
अभिनन्दन ५० लाख पूर्व १०००
सुमति ४० लाख पूर्व १००० ६. पद्मप्रभ ३० लाख पूर्व ३०८ ७. सुपार्श्व २० लाख पूर्व ५०० ८. चन्द्रप्रभ १० लाख पूर्व १००० ९. सुविधि २ लाख पूर्व १००० १०. शीतल १ लाख पूर्व १००० ११. श्रेयांस ८४ लाख वर्ष १००० १२. वासुपूज्य ७२ लाख वर्ष ६००
१३. विमल ६० लाख वर्ष ६००० १४. अनंत ३० लाख वर्ष ७००० १५. धर्म १० लाख वर्ष ८०० १६. शान्ति १ लाख वर्ष १०८ १७. कुथु ९५ हजार वर्ष १००० १८. अर ८४ हजार वर्ष १००० १९. मल्लि ५५ हजार वर्ष ५०० २०. मुनिसुव्रत ३० हजार वर्ष १००० २१. नमि १० हजार वर्ष १००० २२. नेमि १ हजार वर्ष ५३६ २३. पार्श्व १०० वर्ष ३३ २४. महावीर ७२ वर्ष एकाकी ।
. आवश्यक सत्र के टिप्पण में 'त्रीण्यष्टोत्तरशतानि' का विग्रह 'त्रिगणमष्टोत्तरशतं'१०८का तीन
गुणा किया है परन्तु कुछ लोग इसका अर्थ 'त्रिउत्तराणि अष्टौ शतानि' भी करते हैं। इनके मतानुसार पद्मप्रभ स्वामी का शिवगमन परिवार ८०३ है । तत्त्वं तु केवलिगम्यं ।। ३८५-३९१ ।।
३४ द्वार:
निर्वाणस्थल
अट्ठावयचंपुज्जितपावासम्मेयसेलसिहरेसु। उसभवसुपुज्जनेमी वीरो सेसा य सिद्धिगया ॥ ३९२ ॥
-विवेचननिर्वाणगमन स्थलभगवान ऋषभदेव
अष्टापद २. भगवान वासुपूज्य
चम्पापुरी भगवान नेमिनाथ
गिरनार भगवान महावीर
पावापुरी शेष २० जिन सम्मेतशिशखर
॥ ३९२ ॥ Jain Education International
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