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________________ १८० मल्लिनाथ भगवान के साथ ३०० पुरुष और ३०० स्त्रियों ने दीक्षा ग्रहण की थी अतः कुल मिलाकर उनका व्रती परिवार ६०० का हुआ किन्तु सूत्र में 'त्रिभिर्शतैः' अर्थात् ३०० का व्रती परिवार कहा, वह केवल पुरुष या केवल स्त्रियों की अपेक्षा से समझना ।। ३८१-३८४ ।। ३२ द्वार : ३३ द्वार : तीर्थंकरों का पूर्ण आयुष्य - मोक्ष-गमन-परिवार Jain Education International चउरासी बिसरि सट्ठी पन्नासमेव लक्खाई। चत्ता तीसा वीसा दस दो एगं च पुव्वाणं ॥ ३८५ ॥ चउरासी बावत्तरिय सट्ठी य होइ वासाणं । तीसा य दस य एगं एवं एए सयसहस्सा ॥ ३८६ ॥ पंचाणउइ सहस्सा चउरासीई य पंचवन्ना य । तीसा य दस य एगं सयं च बावत्तरी चेव ॥ ३८७ ॥ एगो भगवं वीरो तेत्तीसाए सह निव्वुओ पासो । छत्तीसेहिं पंचहि सएहिं नेमी उसिद्धिगओ ॥ ३८८ ॥ पंचहिं समणसएहिं मल्ली संती उ नवसएहिं तु । अट्ठसएणं धम्मो सएहिं छहिं वासुपुज्जजिणो ॥ ३८९ ॥ सत्तसहस्साणंतइजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साइं । पंच सयाई सुपासे पउमाभे तिणि अट्ठसया ॥ ३९० ॥ दसहिं सहस्सेहिं उसहो सेसा उ सहस्सपरिवुडा सिद्धा । तित्थयरा उ दुवालस परिनिट्ठियअट्ठकम्मभरा ॥ ३९१ ॥ -विवेचन द्वार ३०-३३ For Private & Personal Use Only आयु-प्रमाणमोक्ष - परिवार www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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