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मल्लिनाथ भगवान के साथ ३०० पुरुष और ३०० स्त्रियों ने दीक्षा ग्रहण की थी अतः कुल मिलाकर उनका व्रती परिवार ६०० का हुआ किन्तु सूत्र में 'त्रिभिर्शतैः' अर्थात् ३०० का व्रती परिवार कहा, वह केवल पुरुष या केवल स्त्रियों की अपेक्षा से समझना ।। ३८१-३८४ ।।
३२ द्वार : ३३ द्वार :
तीर्थंकरों का पूर्ण आयुष्य - मोक्ष-गमन-परिवार
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चउरासी बिसरि सट्ठी पन्नासमेव लक्खाई। चत्ता तीसा वीसा दस दो एगं च पुव्वाणं ॥ ३८५ ॥ चउरासी बावत्तरिय सट्ठी य होइ वासाणं । तीसा य दस य एगं एवं एए सयसहस्सा ॥ ३८६ ॥ पंचाणउइ सहस्सा चउरासीई य पंचवन्ना य । तीसा य दस य एगं सयं च बावत्तरी चेव ॥ ३८७ ॥ एगो भगवं वीरो तेत्तीसाए सह निव्वुओ पासो । छत्तीसेहिं पंचहि सएहिं नेमी उसिद्धिगओ ॥ ३८८ ॥ पंचहिं समणसएहिं मल्ली संती उ नवसएहिं तु । अट्ठसएणं धम्मो सएहिं छहिं वासुपुज्जजिणो ॥ ३८९ ॥ सत्तसहस्साणंतइजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साइं । पंच सयाई सुपासे पउमाभे तिणि अट्ठसया ॥ ३९० ॥ दसहिं सहस्सेहिं उसहो सेसा उ सहस्सपरिवुडा सिद्धा । तित्थयरा उ दुवालस परिनिट्ठियअट्ठकम्मभरा ॥ ३९१ ॥
-विवेचन
द्वार ३०-३३
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आयु-प्रमाणमोक्ष - परिवार
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