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________________ प्रवचन-सारोद्धार १६३ चउसठ्ठी बासट्ठी सट्ठी पन्नास चालीसा ॥३३२॥ तीसा वीसा अट्ठारसेव सोलस य चउद्दस सहस्सा। एयं साहुपमाणं चउवीसाए जिणवराणं ॥३३३ ॥ अट्ठावीसं लक्खा अडयालीसं च तह सहस्साइं। सव्वेसिपि जिणाणं जईण माणं विणिद्दिटुं ॥३३४ ॥ -विवेचन२४ जिन के मुनियों की संख्या Mm * ८४००० मुनि १००००० मुनि २००००० ३००००० मुनि ३०००२० मुनि ३०००३० मुनि | ३००००० मुनि २५०००० मुनि २००००० मुनि १००००० मुनि ८४००० मुनि ७२००० मुनि ६८००० मुनि ६६००० मुनि ६४००० मुनि ६२००० मुनि ६०००० मुनि ५०००० मुनि ४०००० ३० ००० मुनि २०००० मुनि १८००० मुनि १६००० मुनि १४००० मुनि ) २३. २४. i चौबीस तीर्थकर परमात्मा के कुल मुनियों की संख्या २८,४८,००० है। यह संख्या तीर्थंकर परमात्मा के स्वहस्त दीक्षित मुनियों की है। गणधरादि द्वारा दीक्षित मुनियों की संख्या तो अधिक है ॥ ३३१-३३४ ।। १७ द्वार : श्रमणी-संख्या तिन्नि य तिन्नि य तिन्नि य छ पंच चउरो चउ तिगे क्के क्का। लक्खा उसहं मोत्तुं तदुवरि सहस्साणिमा संखा ॥ ३३५ ॥ तीसा छत्तीसा तीस तीस वीसा य तीस असीई य। वीसा दसमजिणिंदे लक्खोवरि अज्जिया छक्कं ॥ ३३६ ॥ लक्खो तिन्नि सहस्सा लक्खो लक्खो य अट्ठसयअहिओ। बासट्ठी पुण बासट्ठी सहस्स अहिया चउसएहि ॥ ३३७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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