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समय महाविदेह में दिन होने से वहाँ जिनेश्वर के जन्म का प्रश्न ही नहीं है । इसलिए १० से अधिक जिनेश्वरों के जन्म की सम्भावना नहीं रहती) ।। ३२७ ॥
१५ द्वार :
२४. तीर्थंकरों के गणधरों की संख्या
१. ऋषभ २. अजित
३. संभव
४. अभिनन्दन
५. सुमति
६. पद्मप्रभ
७. सुपार्श्व
८. चन्द्रप्रभ
चुलसी पंचनवई बिउत्तरं सोलसोत्तरं च सयं । सत्तुत्तर पणनउई उई अट्ठसीई य ॥३२८ ॥ एकासीई छावत्तरीय छावट्ठि सत्तवन्ना य । पन्ना तेयालीसा छत्तीसा चेव पणतीसा ॥३२९ ॥ तेत्तीस अट्ठवीसा अट्ठारस चेव तह य सत्तरस । एक्कारस दस एक्कारसेव इय गणहरपमाणं ॥ ३३० ॥ -विवेचन
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९. सुविधि
१०. शीतल
११. श्रेयांस
१२. वासुपूज्य
१३. विमल
८८ गणधर
८१ गणधर
७६ गणधर ६६ गणधर
५७ गणधर
५० गणधर
४३ गणधर
३६ गणधर
गणधर-संख्या
८४ गणधर
९५ गणधर
१०२ गणधर
११६ गणधर
२०.
१०० गणधर
२१. नमिनाथ
१०७ गणधर
१४. अनन्त
२२. नेमिनाथ
९५ गणधर १५. धर्म
२३. पार्श्वनाथ
९३ गणधर १६. शान्ति
२४. महावीर
किसी के मतानुसार नेमिनाथ भगवान के १८ गणधर थे || ३२८-३३० ॥
१६ द्वार :
१७. कुंथु
१८. अरनाथ
१९. मल्लिनाथ
द्वार १४-१६
मुनिसुव्रत
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चुलसीइ सहस्सा एगलक्ख दो तिन्नि तिन्नि लक्खा य । बीसहिया तीसहिया तिन्नि य अड्डाइय दु एक्कं ॥ ३३१ ॥ चउरासीइ सहस्सा बिसत्तरी अट्ठसट्ठि छावट्ठी |
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३५ गणधर
३३ गणधर
२८ गणधर
१८ गणधर
१७ गणधर
११ गणधर
१० गणधर
११ गणधर
श्रमण-संख्या
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