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________________ प्रवचन - सारोद्धार चावल आदि मिश्रित दूध आदि विगय नहीं कहलाते पर द्रव्य कहलाते हैं। अतः नीवि के पच्चक्खाण में ऐसा द्रव्य ग्रहण किया जा सकता है 1 खाजा आदि तलने के बाद चूल्हे पर रखे हुए तप्त घी-तेल में आटा आदि सेक कर बनाई गई वस्तु निर्विगय कहलाती है। ऐसा अन्य आचार्यों का मानना है। गीतार्थों का अभिप्राय है कि चूल्हे से नीचे उतारने के बाद ठण्डे हुए घृतादि में आटा आदि डालकर बनाई हुई वस्तु तथाविध पाक के अभाव में निर्विगय है। चूल्हे पर रहे हुए तप्त घी में बनी हुई वस्तु अच्छी तरह परिपक्व होने से विगय ही है ॥ २२६ ॥ हमने इस गाथा की इस प्रकार व्याख्या की है विद्वान लोग ज्ञान के अनुसार अन्यथा भी व्याख्या कर सकते I निवियाता - ३० दस विगय के तीस निवियाते होते हैं । • दूध के पाँच निवियाते — पेया, दुग्धाटी, दुग्धावलेहिका, दुग्धसाटिका व खीर । १. पेया दूध की काञ्जी । खट्टा पदार्थ डालकर बनाया गया दूध जैसे पनीर आदि । कई आचार्यों के अनुसार गाय, भैंस की प्रसूति के बाद जो जमा हुआ दूध निकलता है, जिसे भाषा में 'चीका' कहते हैं, वही दुग्ध I चावल का आटा डालकर बनाया हुआ दूध । दाख डालकर औटाया हुआ दूध । चावल डालकर उबाला हुआ दूध ।। २२७-२२८ ॥ २. दुग्धाटी अन्ये तु Jain Education International ३. अव ४. दुग्ध- साटिका ५. खीर • दही के पाँच निवियाते १. घोलवड़ा २. घोल ३. श्रीखण्ड ४. करंबक ५. रजिका - - ३. घृतपक्व ४. निर्भंजन - — • घी के पाँच निवियाते १. औषध २. घृतकिट्टिका -- १०३ कपड़े से छने हुए दही में डाले हुए बड़े, जैसे दहीबड़े आदि । कपड़े से छना हुआ दही । मथा हुआ शक्करयुक्त दही । दही से युक्त कूर, चावल आदि । नमक डालकर मथा हुआ दही। ऐसा दही, सांगरी आदि डालने पर तो निवियता है ही पर बिना डाले भी निवियाता बनता है | २२९ ॥ औषध डालकर पकाया हुआ घी । घी के पीछे बचा हुआ मैल (कीटा) । औषधादि पकाने के बाद उस पर आई हुई घी की पक्वान्न तलने के बाद बचा हुआ (जला हुआ) घी । For Private & Personal Use Only I www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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