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प्रवचन - सारोद्धार
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खीराइ सूरणाई मंडगपभिई य विन्नेयं ॥ २०७ ॥ पाणं सोवीरजवोदगाइ चित्तं सुराइयं चेव । आक्काओ सव्वो कक्कडगजलाइयं च तहा ॥ २०८ ॥ भत्तोसं दंताई खज्जूरगनालिकेरदक्खाई। कक्कडि अंबगफणसाइ बहुविहं खाइमं नेयं ॥ २०९ ॥ दंतवणं तंबोलं चित्तं तुलसीकुहेडगाईयं । महुपिप्पलिसुंठाई अणेगहा साइमं नेयं ॥ २१० ॥ पामि सरयविगई खाइम पक्कन्नअंसओ भणिओ । साइमि गुलमहुविगई सेसाओ सत्त असणंमि ॥ २११ ॥ फासियं पालियं चेव, सोहियं तीरियं तहा । कित्तियमाराहियं चेव, जएज्जा एरिसम्मि उ ॥ २१२ ॥ उचिए काले विहिणा पत्तं जं फासियं तयं भणियं । तह पालियं च असई सम्मं उवओगपडियरियं ॥ २१३ ॥ गुरुदत्तसेसभोयणसेवणयाए य सोहियं जाण । पुण्णेवि थेवकालावत्थाणा तीरियं होइ ॥ २१४॥ भोयणकाले अमुगं पच्चक्खायंति भुंज कित्तीयं । आराहियं पयारेहिं सम्ममेएहिं निट्ठवियं ॥ २१५ ॥ वयभंगे गुरुदोसो थेवस्सवि पालणा गुणकरी उ। गुरुलाघवं च नेयं धम्मंमि अओ उ आगारा ॥ २१६ ॥ दुद्धं दहि नवणीयं घयं तहा तेल्लमेव गुड मज्जं । महु मंसं चेव तहा ओगाहिमगं च विगईओ ॥ २१७ ॥ गोमहिसुट्टीपसूणं एलग खीराणि पंच चत्तारि । दहिमाइयाइं जम्हा उट्टीणं ताणि नो हुंति ॥ २९८ ॥ चत्तारि हुंति तेल्ला तिल अयसि कुसुंभ सरिसवाणं च । विगईओ सेसाणं डोलाईणं न विगईओ ॥ २१९॥ वगुडपिंडगुडा दो मज्जं पुण कट्ठपिट्ठनिप्फन्नं ।
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