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द्वार २
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गुरु बाद में करे तो आशातना लगती है। रात्रि में गुरु द्वारा पूछने पर 'कौन जाग रहा है?' सुनने पर भी अनसुना करे तो आशातना लगती है ॥ १३४ ।।।
गुरु, रत्नाधिक आदि के साथ बात करने से पूर्व ही शिष्य आगन्तुक के साथ बात करे तो आशातना लगती है ॥ १३५ ॥
भिक्षा लाकर प्रथम अन्य के पास आलोचना देकर बाद में गुरु के संमुख आलोचना देने से आशातना लगती है।। १३६ ॥
गौचरी के लिये अन्य मुनियों को निमन्त्रित करने के पश्चात् गुरु, रत्नाधिक आदि को निमन्त्रित करना। आहार आदि गुरु को पूछे बिना ही अन्य साधुओं को बाँट देना-आशातना का कारण है। यद्यपि १३०वीं (संग्रहगाथा) गाथा में 'खद्धा' शब्द पृथक् ग्रहण नहीं किया है तथापि 'खद्धाइयण' में (१८वें दोष में) से 'खद्ध' शब्द को पृथक् करके १७वें दोष के रूप में वर्णन किया गया है॥ १३७-१३८ ॥
'खद्धाइयण' पद में 'खद्ध' शब्द बहुत/प्रचुर के अर्थ में है। 'अयण' शब्द अशन के अर्थ में है। आदि शब्द से 'डाय' का ग्रहण होता है। 'डाय' का अर्थ है-मसालायुक्त वृन्ताक, काचरा, चना आदि ‘पत्त' शब्द शाकभाजी का बोधक है।
अच्छे वर्ण, गंध व रसादि से युक्त पके हुए मनोहर अनार, आम आदि फलों को किसी प्रकार अचित्त बनाकर, लुब्ध होकर खाना अथवा अरुचिकर आहार द्वेषपूर्वक खाना। अधिक धी वाला अथवा रूखा-सूखा भी आहार अधिक मात्रा में खाना । गुरु द्वारा शिष्य को पुकारने पर सुना अनसुना करना ।। १३९-१४१ ।।
__ 'खद्ध' अर्थात् अधिक। गुरु या रत्नाधिक के साथ बार-बार अत्यन्त कठोर एवं तेज आवाज में बोलना आशातना है। गुरु या रत्नाधिक के बुलाने पर अपने स्थान पर बैठे-बैठे ही प्रत्युत्तर देना।
१४२ ॥
गुरु के पुकारने पर शिष्य सुने, अपने स्थान से प्रत्त्युत्तर भी दे, पर मन में विचार करे कि गुरु के पास जाने की क्या आवश्यकता है? ऐसा करने से आशातना लगती है। अत: शिष्य गुरु के पास जाकर 'मत्थएण वंदामि' बोलकर गरु से बात करे ॥ १४३॥
तूं मुझे कहने वाला कौन है ? इस प्रकार गुरु के सामने 'तूं' शब्द से बात करे। गुरु ने जो कहा उसी को उलट कर गुरु को जवाब दे, गुरु का अपमान करे इत्यादि आशातना है।
जैसे, गुरु शिष्य को कहे कि हे आर्य! तुम ग्लान की सेवा क्यों नहीं करते? शिष्य सामने कहे कि-तुम ग्लान की सेवा क्यों नहीं करते? गुरु व्याख्यान देते हों उस समय मन में दुर्भाव लावे ।। १४४-१४५ ॥
गुरु व्याख्यान दे उस समय शिष्य आकर गुरु को कहे कि-आपको याद नहीं है, इसका अर्थ इस प्रकार नहीं होता, यह आशातना है।
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