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प्रवचन-सारोद्धार
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इच्छा य अणुण्णवणा अव्वाबाहं च जत्त जवणा य । अवराहखामणावि य छट्ठाणा हुति वंदणए ॥ ९९ ॥ विणओवयार माणस्स भंजणा पूअणा गुरुजणस्स। तित्थयराण य आणा सुयधम्माराहणाऽकिरिआ ॥ १०० ॥ छंदेणऽणुजाणामि तहत्ति तुब्भंपि वट्टए एवं । अहमवि खामेमि तुमे वयणाई वंदणऽरिहस्स ॥ १०१॥ आयरिय उवज्झाए पवत्ति थेरे तहेव रायणिए। एएसिं किइकम्मं कायव्वं निज्जरट्ठाए ॥ १०२ ॥ पासत्थो ओसन्नो होइ कुसीलो तहेव संसत्तो। अहछंदोवि अ एए अवंदणिज्जा जिणमयंमि ॥ १०३ ॥ सो पासत्थो दुविहो सब्वे देसे य होई नायव्वो। सव्वंमि नाणदंसण-चरणाणं जो उ पासंमि ॥ १०४ ॥ देसंमि य पासत्थो सेज्जायरऽभिहडरायपिण्डं च। नीयं च अग्गपिंडं भुंजइ निक्कारणे चेव ॥ १०५ ॥ ओसन्नो वि य दुविहो सब्वे देसे य तत्थ सव्वंमि। अवबद्धपीठ-फलगो ठवियगभोई अ नायव्वो ॥ १०६ ॥ आवस्सयसज्झाए पडिलेहणभिक्खझाणभत्तठे। आगमणे निग्गमणे ठाणे या निसीयणतुयट्टे ॥ १०७॥ आवस्सयाइयाइं न करेइ अहवा विहीणमहियाई। गुरुवयणवला य तहा भणिओ देसावसन्नोत्ति ॥ १०८ ॥ तिविहो होइ कुसीलो नाणे तह दंसणे चरिते अ। एसो अवंदणिज्जो पन्नत्तो वीयराएहिं ॥ १०९ ॥ नाणे नाणायारं जो उ विराहेइ कालमाईयं । दंसण दंसणयारं चरण कुसीलो इमो होइ ॥ ११० ॥ कोउय भूईकम्मे पसिणापसिणे निमित्तमाजीवी। कक्ककरुयाइ लक्खण उवजीवइ विज्जमंताई ॥ १११ ॥
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