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________________ ३९२ परमोदारिक शरीरमनुष्य और तिर्यंचोंका शरीर औदारिक शरीर कहलाता है । श्रेष्ठताको प्राप्त औदारिक शरीर परमौदारिक शरीर कहलाता है । एक परमोदारिक शरीर तेरहवें, चौदहवें गुणस्थानवर्ती अरहन्त भगवान्‌का होता है, वह सप्त धातुओंके विकारसे रहित होता है । उसमें बादर निगोद जीव नहीं रहते । परिनिष्क्रमणगर्भान्वय क्रिया परम निर्वाण कन्वय क्रिया पल्य पात्रत्व- असंख्यात वर्षका एक पल्य होता है । दश अधिकारोंमें एक अधिकार पारिव्रज्य - aar क्रिया पुण्ययज्ञ दीक्षान्वय क्रिया पुरावृत्त दश शुद्धियोंमें एक शुद्धि पुरुषार्थ चतुष्टय— धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष । पूजाराध्य - दीक्षान्वय क्रिया पूर्व पृथक्त्व १०.(४२).३६३ १०. (४२). ३६३ प्रत्यय पुरुदेवचम्पूप्रबन्धे ६. (२).२२२ प्रवीचार १. (९८).४४ Jain Education International चौरासी लाखमें चौरासी लाखका गुणा करने पर जो लब्ध हो उतने वर्षोंका एक पूर्वांग होता है, और चौरासी लाख पूर्वांगोंका एक पूर्व होता है । १०. (४२).३६३ १०. (४२).३६३ १०. (४२).३६३ १०.(४२).३६४ ८.(४१).२९७ १०. (४३).३६३ ६. (२).२२३ तीनसे लेकर नौसे नीचेकी संख्या पृथक्त्व कहलाती है । सम्यग्दर्शनकी एक पर्याय १.(९८).४४ ३.३२.११७ मैथुन प्रजासम्बन्धान्तर स्वरूप दश अधिकारोंमें एक अधिकार प्रबोध प्रशम होनेपर सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन जीवादि सात तत्त्वोंका जो यथार्थ ज्ञान होता है वह सम्यग्ज्ञान कहलाता है । गर्भान्वय क्रिया सम्यग्दर्शनका एक गुण, कषायके असंख्यात लोकप्रमाण अवान्तर स्थानोंमें मनका स्वभावसे शिथिल हो जाना । प्रशान्ति प्रियोद्भव - गर्भावय क्रिया प्रीति— गर्भान्वय क्रिया बन्ध [ ब ] आत्मा आदि कर्म प्रदेशोंके एक क्षेत्र वगाहको बन्ध कहते । इसके प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश ये चार भेद I बहिर्यान गर्भान्वय क्रिया मवनामर १०. (४२). ३६३ भव्य [भ] ३.५०.१३० For Private & Personal Use Only एक प्रकारके देव, जो भवनवासी नामसे प्रसिद्ध हैं । इनके असुरकुमार आदि दश भेद होते हैं । ३.३०.११६ १०. (४२). ३६३ १०. (४२). ३६३ १०. (४२). ३६३ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र को प्राप्त करने की योग्यता रखने वाले जीव । ३.३२.११७ १०.(४२).३६३ १.४.३ ४.४७.१७० १.३.३ www.jainelibrary.org
SR No.001712
Book TitlePurudev Champoo Prabandh
Original Sutra AuthorArhaddas
AuthorPannalal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages476
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
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