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घत्ता - संघट्टमि लुट्टमि गयघडहु दलमि सुहड रणमग्गइ |
पहु प्रावर दावउ बाहुबलु महु बाहुबलहि श्रग्गइ ॥ 11
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ता दूउ विणिग्गश्रो नियपुरं गम्रो तम्मि विरिणवासं । सो विण्णवs सायरं सारसायरं पणविउं महीसं ॥ 1 विसमु देव बाहुबलि गरेसरु नेहु ण संधइ संघइ गुरिण सरु संधि रग इच्छइ इच्छइ संगरु आण रंग पालइ पालइ रियछलु || 4 ara र चितs चितइ पोरिसु ॥15 पुहइ ण देइ देइ वाणावलि ॥ 6 अंगु ण कड्ढइ कढइ खंडउ पर जाणमि देसइ रणभोयणु ॥ 8 ढोएसइ ध्र ुवु रउररयण ॥ 9
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कज्जु रग बंधइ बंधइ परियरु
पद्मं णउ पेच्छइ पेच्छइ भुयबलु माणु ण छंडइ छंडइ भयरसु संति रण मण्णइ मण्णइ कुलकलि तुज्भु ण रगवइ णवइ मुणितंडउ देव ण देइ भाइ तुह पोयणु ढोus रयणई उ करिरयणइं
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16.22
धत्ता - संताणु कुलक्कमु गुरुकहिउ खत्तधम्मु उ वुज्झइ । मज्जायविवज्जिउ सामरिसु प्रवसें दाइउ जुज्झइ ॥ 10
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[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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