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गंधु
गंध
रस जिसमें
जासु
सदु
शब्द
फासु जासु
स्पर्श जिसका
(गंध)]/1 (रस) 1/1 (ज) 6/1 स अव्यय (सद्द) 1/l अव्यय (फाम) 1/1 (ज)6/1स अव्यय (जम्मण) 1/1 (मरण) 1/1 अव्यय अव्यय (णाअ)1/1 (णिरंजण) 1/1 वि (त) 6/1 स
जन्म
जम्मणु मरणु
मरण
वि
नाम
रगाउ रिणरंजणु
निहकलंक
तासु
उसका
BP,FF.[Fizikr F#715,18TE»!&#
जासु
जिसके
ण
कोह
क्रोध
..!
मोह
मोह
मद
मउ जासु
जिसके
माय
माया
ण
(ज) 6/1 स अव्यय (कोह) 1/1 अव्यय (मोह) 1/1 (मअ) 1/1 (ज) 6/1 स अव्यय (माया) 1/1 अव्यय (मारण) 1/1 (ज) 4/1 स अव्यय (ठाण) 1/1 अव्यय (झाण) 1/1 (जिय) 1/1 (त) 1/1 सवि अध्यय (रिणरंजण) 1/1वि
माणु
जासु
ठाणु
मान जिसके लिए नहीं देश नहीं ध्यान प्रात्मा वह
झाणु जिय
सो
रिणरंजणु
निष्कलंक
1. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे.प्रा.व्या. 3-134)।
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
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