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मंतिहिं भासियाई णयवयणई
ताहं
परिवह रिद्धि कओ
(मंति) 3/2 (भास→भासिय) भूकृ2/2 [(णय)-(वयण) 2/2] (त) 6/2 सवि (गरिंद) 6/2 (रिद्धि) 1/1 अव्यय अव्यय [(सीहासण)-(छत्त) 1/2] (रयण) 1/2
मन्त्रियों द्वारा कहे हुए नीति-वचनों को उन राजानों की रिद्धि कहाँ से कहाँ सिंहासन, छत्र
सीहासणछत्तई रणय
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[ अपभ्रंश काव्य सौरम
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