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दोनों
विण्णि
(वि) 1/2 वि
अव्यय णिवणायकुसल [(रिणव)-(णाय)-(कुसल) 1/1 वि] रिणयतायपायपंकरहमसल [(णिय) वि-(ताय)-(पाय)-(पंकरह)
(भसल) 1/2]
राजनीति में कुशल निज, पिता के, चरणरूपी, कमलों के भौरें
आप
तुम्हई विष्णि
दोनों
जन
(तुम्ह) 1/2 स (वि) 1/2 वि अव्यय (जण) 1/2 (जण) 6/1 (चक्खु) 1/2 (इच्छ) विधि 2/2 सक (अम्हारअ) 2/1 वि [(धम्म)-(पक्ख) 2/1]
अग जणहु चक्खु इन्छ? अम्हारउ धम्मपक्खु
जन के
चाहें हमारे धर्मपक्ष को
9. खरपहरणधारावारिएण [(खर)वि-(पहरण)-(धारा)-(दार-→दारिअ) प्रखर, आयुधों की, धारों से भूकृ 3/1]
विदारित (क) 1/1 सवि
क्या किंकरणियरें [(किंकर)-(णियर) 3/1]
अनुचर समूह से मारिएण (मार→मारिअ) भूकृ 3/1
मारे गए
10. किर
बराएं दंडिएण सोमंतिणिसत्यें रंडिएण
अव्यय (काई) 1/1 सवि (वराअ) 3/1 वि (दंड→दंडिअ) भूकृ 3/1 [(सीमंतिणी→सीमंतिणि)-(सत्थ)3/1] (रंड→रंडिअ) भूक 3/1
पादपूरक क्या बेचारों से सजा दिये हुये (से) नारी समूह से विधवा किए हुए
11. दोह
दोनों के
हो
ममत्थ होवि
(दो) 6/2 वि अव्यय परसर्ग (मज्यस्थ) 1/1 (हु+अवि) संकृ (आउह) 2/1 (मेल्ल+इवि) संकृ [(खम)-(माअ) 2/1] (ले+एवि) संकृ
आउह मेल्लिवि
सम्बन्धवाचक मध्यस्थित होकर आयुध (को) छोड़कर क्षमाभाव को धारण करके
लेवि
12. प्रवलोयंतु
(अवलोय) वकृ 1/1
समझते हुए
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
[
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