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________________ भरहपेसिया पिछसिया हौति दुण्णिवारह । (भरह)-(पेंस -→सिय) भूक 1/2] (पिंछ)-(भूसिय) भूक 112 अनि ] हो) व 3/2 अक (दु-रिणवार) 1/2 वि भरत के द्वारा भेजे हुए पंख से विभूषित होते हैं कठिनाईपूर्वक हटाये जानेवाले पत्थरेण कि क्या लिज्जइ (पत्थर) 31 अव्यय (मेरु) I इदल) व कर्म 3/1 सक अव्यय (खर) 3/I (मायंग) 11 (खल) व कर्म २/1 सक कि मेर (पर्वत) टुकड़े-टुकड़े किया जाता है क्या गधे के द्वारा हाथी गिराया जाता है खरेण मायंगु खलिज्जा जुगनू द्वारा खज्जोएं रवि णित्तेइज्जइ सूर्य ईखज्जोअ)3/ (रवि) 1/1 (णित्तेअ) कर्म 3/} सक अव्यय (घुट्ट) 3/1 (जलहि) 1/1 (सोस) व कर्म 3/1 सक घुट्टण जलहि सोसिजई तेजरहित किया जाता है क्या चूंट के द्वारा समुद्र सुखाया जाता है गोप्पएण कि गोप्पअ) 3/1 अव्यय (णह) 1/1 (मारण) व कर्म 3/1 सक (अण्णाण) 3/1 अव्यय (जिरण) 1/1 (जाण) व कर्म 3/1 सक गौ के पैर के द्वारा क्या आकाश मापा जाता है अज्ञान के द्वारा माणिज्जई अण्णाणे क्या जिणु जिनेन्द्र समझा जाता है जाणिज्जइ 5. वायसे गडु णिज्झई शवकमलेण कुलिसु (वायस) 3/1 अव्यय (गरुड) 1/1 (रिणरुज्झइ) व कर्म 3/1 सक अनि [(रणव) वि-(कमल) 3/1] (कुलिस) 1/1 अव्यय (विज्झइ) व कर्म 3/1 सक अनि कौए के द्वारा क्या गरुड़ रोका जाता है नूतन कमल के द्वारा वत्र क्या बेधा जाता है विज्स 6. करिणा (करि) 3/1 हाथी के द्वारा 82 ] [ अपभ्रंश काव्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001710
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1992
Total Pages358
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, L000, & L040
File Size13 MB
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