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जरामरणोहरा रिवकुमार वासं दुमदलललियतोरणं
रसियवारणं
छिरणभूमिदेसं
2. तेहि
4.
भणिय
ते
विणउ
करेणु
सामिसाल गुरुह
परवेपणु
3. सुरणरविसहरमय
इं
जणेरी
करहु
केर
पररगाहह
फेरी
पण वहु
कि
बहुए
पलावें
पुहइ
प
लग्भइ
मिच्छागावें
5. तं
सुवि कुमारगणु
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
[ ( जरण ) - (मणोहर) 1 / 1 वि]
मनुष्यों के मन को हरनेवाला राजपुत्रों के घर
[ ( णिव) - (कुमार) - (वास) 2 / 1] [[ (दुम) - ( दल) - (ललिय ) - ( तोरण ) 2 / 1 ] वि] वृक्ष समूह से ( निर्मित) सुन्दर तोरणवाला
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[[ ( रसिया ) - ( वारण) 2 / 1 ] वि ]
घोड़े और हाथीवाला
[ [ ( छिपण) भूकृ अनि - ( भूमि ) - ( देस) 2 / I ] वि] बाँटी हुई जमीन के भागवाला
(त) 3/2 स
(भण भणिय) भूकृ 1/2 (a) 1/2 afa
(farmer) 2/1
( कर + एप्पिणु) संकृ
[ ( सामि ) - ( साल ) - ( तणुरुह ) 2 / 2 वि ]
( पणव + एप्पिणु) संकृ
[ ( सुर ) - (गर) - (विसहर 1 ) - (भय) 2 / 1 ]
अव्यय
(जणेर (स्त्री) जणेरी) 2 / 1 वि
(कर) विधि 2 / 1 सक
परसर्ग
[ ( णर) - ( णाह ) 6 / 1]
(केर
(त) 2 / 1 स
(रिसुरण + एवि ) संकृ
[ (कुमार) - ( गण ) 1 / 1]
1. विसहर = वृषधर = धर्म धारण करनेवाला = धार्मिक |
(स्त्री) केरी) 2 / 1 (दे)
( पणव) विधि 2 / 1 सक
(क) 1 / 1 सवि
( बहुअ ) 3 / 1 वि
( पलाव ) 3 / 1
( पुहई) 1 / 1
अव्यय
( लब्भइ ) व कर्म 3 / 1 सक अनि
[ (मिच्छा) वि- (गाव) 3 / 1 ]
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उनके ( उसके ) द्वारा
कहे गये
वे
विनय
करके
स्वामी, श्रेष्ठ, पुत्रों को
( सन्तान को )
प्रणाम करके
देवता, मनुष्य, धार्मिक
(जन में ) भय को
निश्चय ही
उत्पन्न करनेवाली
करो
सम्बन्धवाचक
नरनाथ की
सेवा
प्रणाम करो
क्या
बहुत
प्रलाप से
पृथ्वी
नहीं
प्राप्त की जाती है
मिथ्या गर्व से
उसको
सुनकर
कुमारगरण
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