________________
वासुएव-वलएव तरुवर-मूले स-सीय
थिय जोगु
[(वासुएव)-(वलएव) 1/2] [(तरु)-(वर) वि-(मूल) 7/1] [(स) वि-(सीया) 1/1] (थिय) भूक 1/2 (जोग) 2/1 [(लअ)+(एविणु) संकृ] [(मुणि)-(वर) 1/1 वि] अव्यय
राम और लक्ष्मण वृक्ष के नीचे के भाग में सीता-सहित बैठ गये योग ग्रहण करके महामुनि की मांति
लएविणु मुरिणवर जेम .
अपभ्रंश काध्य सौरम ]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org