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एक दिन राजा ने पौषव्रत ग्रहण के समय अभिग्रह किया कि जब तक यह दीपक जलेगा तब तक में खड़ा रहँगा । इस बात को न जानने के कारण दासी उस दीप में तेल भरती जाती थी । राजा को खड़ा-खड़ा पीड़ा होने गली । देहान्त के बाद देवलोक को गये । पिता की आकस्मिक मृत्यु से सागरचन्द्र भी राज्य से पराङ्मुख हो गया लेकिन विमाता प्रियदर्शना के कहने पर फिर राज्यभार संभाल लिया । सागरचन्द्र की कीर्ति से विमाता को डाह पैदा हो गया । एक दिन सागरचन्द्र के लिए माता के द्वारा दिया हुआ लड्डू ले जाती दासी को उसने बुलाया और लड्डु में विष मिला दिया । उस लड्डू को सागरचन्द्र ने भ्रातृप्रेम के कारण स्वयं न खाकर दो सौतेले भाइयों को खिला दिया । जहर के कारण मूर्च्छित भाइयों को मणिमन्त्र आदि से बचा लिया गया । जब दासी के द्वारा इसका रहस्योद्घाटन हुआ तो राजा ने विमाता को बहुत उपालम्भ दिया और स्वयं गुणचन्द्र को राज्य देकर दीक्षित हो गये । शास्त्रों के पारगामी सागरचन्द्र किसी समय विहार करते हुए उजयिनी नगरी में पहुँचे । वहाँ एक मुनि के कहने पर कि आपके भाई का पुत्र तथा पुरोहितपुत्र साधुओं का अपमान करते हैं, वे उनके प्रतिबोध के लिए चल पड़े । वहाँ जाने पर उन दोनों ने उनको नाचने को कहा । मुनि ने उनको बजाने के लिए कहा । वे जब बजाने के लिए तैयार नहीं हुए तो वे नाचने के लिए भी तैयार नहीं हुए । इस पर मल्लयुद्ध हुआ, दोनों राजपुत्र तथा पुरोहित पुत्र घायल हुए । राजा यह सब जानकर उस मुनि को ढूंढने निकला
और कायोत्सर्ग में स्थिर मुनि के पास जाकर क्षमा मांगी और प्रार्थना करने लगे । वे दोनों को मुनि के पास लाये । मुनि ने दोनों को इस शर्त पर स्वस्थ किया कि स्वस्थ होकर दोनों मुनिदीक्षा ग्रहण करेंगे । उन्हें मुनि बनाकर वे विहार करने ले । उनमें पुरोहितपुत्र ने ब्राह्मणत्व के अभिमान के कारण नीच गोत्र कर्म का बन्धन किया। दोनों मुनि आयुष्य पूर्ण कर देव बने । दोनों ने परस्पर वचन दिया कि जो मनुष्य लोक में जन्मेगा उसे देवलोक में जन्मने वाला प्रतिबोध देगा । आयुष्य पूर्ण कर पुरोहितपुत्र राजगृही नगरी में मेहर चाण्डाल पत्नी मैती की कुक्षि में पुत्ररूप में जन्मा । चाण्डाल पत्नी ने स्नेह के कारण किसी मृतवत्सा सेठानी को अपना बच्चा दे दिया । सेठानी ने उसका नाम मैतार्य रखा । १६ वर्ष की उम्र में मित्रदेव उसे प्रतिबोध देने आया लेकिन सफल नहीं हुआ । उसकी आठ वणिक् पुत्रियों से सगाई हुई । मित्रदेव ने उसे मोहजाल से निकालने के लिए चाण्डाल पत्नी की शरीर में प्रवेश कर सारा पर्दाफाश कर दिया ।
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