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मुनि की कही हुई बात याद आयी कि मेरे आठ अद्वितीय सुन्दर पुत्र होंगे । उसने शंका समाधान के लिए भगवान् से पूछा । भगवान् ने बताया – ये छहों तुम्हारे ही पुत्र हैं । तुम्हारे प्रसव के समय कंस के भय से एक देव नागाधिपति की नवप्रसूता पत्नी सुलसा के पास रख देता था और उसके मृत बच्चों को तुम्हारे पास रख देता था । युवावस्था में उन छहों ने मेरे पास दीक्षा ले ली । आज पारणे के दिन मेरी आज्ञा से तीन गुटों में विभक्त होकर भिक्षार्थ गये थे और संयोग से तुम्हारे पास पहुंचे। पुत्र सम्बन्ध होने के कारण तुम्हें वात्सल्य उमड़ा था । यह बात सुनकर देवकी को मातृकर्म करने का शोक हुआ । वह चिन्तित रहती थी । कृष्ण के माता से उसके दुःख का कारण पूछने पर उसने सारी आपबीती बता दी । कृष्ण ने माता की चिन्ता दूर करने के लिए हरिगमैषि देव की आराधना की । देव ने ज्ञान में देखकर कहा कि तुम्हारी माँ को एक पुत्र होगा लेकिन युवावस्था में विरक्त हो जायेगा । रानी गर्भवती हुई, स्वप्न में सिंह देखा । काल पूर्ण होने पर सुन्दर पुत्र को जन्म दिया । गजसुकुमार नामक इस बालक ने युवास्था में भगवान् अरिष्टनेमि के वैराग्यमय वचन सुनकर मुनिदीक्षा ग्रहण कर ली । वह १२वीं प्रतिमा अंगीकार कर महाकाल श्मशान में कायोत्सर्ग में स्थित हो गया । संयोगवश सोमिल नामक ब्राह्मण ने, जिसकी कन्या से उसकी शादी होने वाली थी, प्रतिबोध की भावना से उसके मस्तक पर कपड़ा बांधकर आग लगा दिया। मुनि ने सहजभाव से ताप सह लिया और केवलज्ञानी होकर मोक्ष को प्राप्त हुए । दूसरे दिन श्रीकृष्ण के लघु भ्राता के विषय में पूछने पर भगवान् ने सब कुछ बता दिया । श्रीकृष्ण ने घातक का नाम पूछा - भगवान ने कहा जो तुम्हें देखकर भय के कारण गिर जाय और मर जाय वही उसका घातक है । श्रीकृष्ण वापस लौट रहे थे कि सोमिल सामने से आता हुआ मिला वह गिरा और मर गया । ऋषि हत्या के फलस्वरूप वह मरकर सातवें नरक में पहुँचा । १९. स्थूलिमद्र
__ पाटलिपुत्र में नन्द राजा के ब्राह्मण मन्त्री शक्डाल एवं उसकी पत्नी के दो पुत्र - स्थूलिभद्र और श्रीयक" तथा यक्ष आदि सात पुत्रियाँ थीं । एक दिन मित्रों के साथ वन के सुन्दर दृश्यों को देखने गया युवक स्थूलिभद्र कोशा वैश्या पर मोहित होकर उसके श्रृंगारशाला में गया । वह आनन्द करता हुआ वहीं रहने लगा और पिता के बुलाने पर भी नहीं आया । १२ वर्ष तक रहकर उसने श्रृंगारशाला में बहुत धन खर्च किया यहाँ तक कि पिता की षड़यंत्र से मृत्यु होने पर भी नहीं आया ।
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