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सलाह दी । रुक्मिणी ने वैसा ही किया और चारित्र की सम्यक् आराधना करके देवलोक पहुंची और वज्रस्वामी भगवान महावीर के निर्वाण के ५८४ वर्ष बाद ८८ साल की उम्र में अपना आयुष्य पूर्ण कर देवलोक पहुँचें ।
१७. नन्दीषेण की कथा
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मगधदेश के नन्दी गाँव में चक्रधर नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सोमिला के साथ रहता था । दोनों नन्दीषेण नामक पुत्र को जन्म देकर चल बसे उसका पालन पोषण उसके मामा के वहाँ हुआ । उसका शरीर इतना बेडौल था कि उसे सब घृणा करते थे । उस समाज से ऊब कर उसने अपने मामा से परदेश जाने का प्रस्ताव रखा लेकिन मामा ने अपने ही यहाँ रहने को कहा और अपनी किसी पुत्री से शादी कर देने का आश्वासन दिया । लेकिन कोई भी पुत्री उससे शादी के लिए तैयार नहीं हुई । इस दुःख से विरक्त होकर नन्दीषेण कर्मदोष को दूर करने मामा के यहाँ से चल दिया । उसे रत्नपुरी के एक उपवन में स्त्री पुरुष को कामक्रीड़ा करते देखकर अपने बाधक दुष्कर्मों के प्रति ग्लानि हुई । उसने आत्महत्या करने का निर्णय ले लिया, वहाँ उसे एक मुनि ने रोका और अमृतोपम उपदेश देकर मुनि दीक्षा अंगीकार करायी । वह प्रतिदिन ५०० साधुओं की सेवा किया करता था । जिससे उसकी प्रशंसा देवलोक में पहुँची । दो देव उसके परीक्षार्थ आये । एक रोगी साधु का वेश बनाकर बाहर उद्यान में लेट गया और दूसरा मुनि का रूप धारण कर नन्दीषेण के पास गया और अपने गुरु के अतिसार रोग से पीड़ित होने की खबर दी । यह सुनकर नदीषेण खाने के लिए हाथ में लिए हुए कौर रख दिए और देवमुनि के साथ चल दिए, वहाँ पहुँचकर मुनि ने मल साफ करने के लिए पानी लाने को कहा । नगरी में बहुत घूमने पर उन्हें प्रासुक जल मिला । उन्हें रुग्णमुनि ने बहुत डाँटा लेकिन उन्होंने क्रोध किये बिना उनकी सफाई की और उपाश्रय में ले जाने का निवेदन किया । चलने में कष्ट होने के कारण नन्दीषेण उन्हें अपने कन्धे पर बिठाकर चल दिए । रास्ते में रुग्णमुनि ने नदीषेण की शरीर पर विष्टा कर दी और डाँटने लगे कि जल्दी-जल्दी चलने से मुझे कष्ट हो रहा है । नन्दीषेण क्षमायाचना करते हुए धीरे-धीरे चलने लगे। इस सेवाभाव से दोनों देव बहुत प्रसन्न हुए और अपने असली रूप में आकर उन्हें धन्यवाद दिया और अपने स्थान को लौट गये । देवप्रभाव से नन्दीषेणमुनि के शरीर पर गोशीर्षवन्दन का लेपन हो गया था । १२ हजार वर्ष तक चारित्र पालन करके अन्तिम समय में उन्होंने निदान किया कि आगामी जन्म में मैं नारी वल्लभ बनूँ । आयुष्य पूर्ण
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