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डाला। इसी से उस प्रदेश को दण्डकारण्य कहते हैं । १५. हरिकेशबल मुनि की कया
किसी समय मथुरा नगरी का शंख नामक राजा मुनिराज का उपदेश सुनकर मुनिदीक्षा ग्रहण कर लिया । विहार करते हुए वे हस्तिनापुर शहर में जाने लिए सोमदेव पुरोहित से रास्ता पूछे । द्वेषी सोमदेव के द्वारा बताये गये गुप्त मार्ग पर सहजभाव से चलकर वे निर्विघ्न पार हो गये । इससे पुरोहित बहुत प्रभावित हुआ और मुनि की प्रार्थना कर उनसे मुनि दीक्षा ग्रहण कर ली और चारित्राराधन करने लगा । कभीकभी वह अपनी ब्राह्मण जाति का अभिमान प्रकट करता था । मरकर देव बना । वहाँ से आयुष्य पूर्ण कर कर्मबन्ध के कारण बलकोट नामक चाण्डाल और उसकी पत्नी गौरी के यहाँ हरिकेशबल नाम से पुत्र में रूप पैदा हुआ६ । उसके शरारती स्वभाव के कारण बालकों ने उसे अपनी मण्डली से निकाल दिया । एक बार एक सर्प निकला, लोगों ने मार डाला । उसी समय दूसरा दो मुँहवाला विषहीन सर्प निकला। लोगों ने उसे नहीं मारा । इन घटनाओं से हरिकेशबल को प्रेरणा मिली कि मनुष्य के कर्म ही उसके सुख और दुःख के कारण होते हैं । चिन्तन करते हुए उसे अपने पूर्वजन्म का ज्ञान हुआ । फलत: उसने उत्तम गुरु के पास मुनि दीक्षा ग्रहण कर विभिन्न तप करता हुआ विहार करने लगा । एक बार वे वाराणसी के तिन्दुकवन के तिन्दुक यक्षायतन में कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े थे कि यक्ष की पूजा करने आयी वाराणसीराज की राजकुमारी सुभद्रा ने उन्हें देखकर उनका बहुत अपमान किया । यह देखकर मुनि की तप:शक्ति से प्रभावित उस यक्ष से न रहा गया । उसने उसे पागल बना दिया। बहुत झाड-फूंक के बाद जब ठीक नहीं हुआ तब यक्ष ने स्वयं प्रकट होकर सारी बात बताई । उसने कहा यह राजकुमारी यदि उस मुनि की दासी बनकर सेवा करे तो ठीक हो जायेगी । इस बात से सहमत होकर राजकुमारी ने मुनि से विवाह के लिए आग्रह किया । पहले तो मुनि ने अस्वीकार किया लेकिन यक्ष के प्रभाव से शादी कर ली
और बाद में छोड़ दी । राजा को यह जानकर बहुत दुःख हुआ । राजा ने उसे यज्ञ यागादि करनेवाले पुरोहित रुद्रदेव को समर्पित कर दिया । एक बार दोनों पति-पत्नी बहुत ब्राह्मणों के साथ यज्ञ कर रहे थे कि हरिकेशबलमुनि ने उसी यज्ञ मण्डप में प्रवेश कर भिक्षा माँगी । ब्राह्मणों ने उन्हें भोजन नहीं दिया उल्टे उन्हें तिरस्कृत भी करने लगे। मुनि ने बार-बार आग्रह किया । ब्राह्मणों ने उन्हें मारना शुरु कर दिया । यह देखकर यक्ष ने उन ब्राह्मणों को मारकर घायल कर दिया । सुभद्रा भी घटनास्थल
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