________________
की बात सुनकर जम्बू की प्रथम पत्नी बोली प्रभव ! यदि तुम्हारे कहने से जम्बूकुमार दीक्षा ले लेंगे तो उनको उस किसान की तरह पछताना पड़ेगा जिसने मिश्रित मालपूए के लिए अनाज के लहलहाते खेत को काटकर ईख बोया और ईख नहीं उगी तो अत्यन्त दु:खी हुआ ।
जम्बूकुमार ने कहा पछताना उसे पड़ता है जो लौकिक सुख की आशा करता है । जिसे अलौकिक सुख चाहिए उसे पछताना नहीं पड़ता । लौकिक सुख चाहने वाला उस कौए के समान अनर्थ पाता है जिसने मांस के लालच में मृत हाथी के गुदे में प्रवेश किया और ग्रीष्मकाल में जब गुदा बन्द हो गया तो वह भी उसी में बन्द हो गया । बरसात में गुदाद्वार खुलने से जब बाहर निकला तो चारों तरफ पानी ही पानी देख वहीं मर गया ।
यह सुनकर दूसरी पत्नी ने कहा अतिलोभ से मनुष्य उस बन्दर की तरह दु:ख पाता है जो अपनी पत्नी बन्दरी के साथ किसी वृक्ष पर आनन्दपूर्वक रहता था। एक दिन वह एक देवाधिष्ठित तालाब में गिरा और मनुष्य बन गया । बन्दरी भी तालाब में कूदी और सुन्दर स्त्री बन गयी । एक बार मानवरूपी बन्दर ने कहा यदि मैं उस तालाब में फिर से गिरूं तो देव बन जाऊँ, उसकी पत्नी ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना और कूद पड़ा जिससे फिर वह बन्दर हो गया । उसकी पत्नी को अकैली देख कोई राजा अपने यहाँ ले गया और वह बन्दर किसी मदारी के हाथ में पड़ गया । किसी समय मदारी बन्दर को नचाते हुए राजा के महल में पहुँचा जहाँ बन्दर अपनी पत्नी को देख कर बहुत पछताया ।
-
जम्बूकुमार ने कहा जिसने अनेक देवलोक का सुख भोगा है उसे लौकिक सुख से क्या जैसे कि अंगारदाहक तृप्त नहीं था । अंगारदाहक एक बार कोयला बनाने जंगल में गया । प्यास लगने पर बर्तन में रखा कुल पानी पीकर सो गया । स्वप्न में वह समुद्र और नदियों का पानी भी पी गया फिर भी जब उसे तृप्ति नहीं मिली तो वह छोटी तलैया में पड़ा गन्दा पानी पीने गया । जब समुद्र के जल से उसे तृप्ति नहीं मिली तो तालाब के गन्दे पानी से कैसे मिल सकती है ।
इस पर तीसरी ने कहा बिना विचारे काम करने पर नूपुरपण्डिता के समान पछताना पड़ता है । राजगृहनगर में देवदत्त नामक एक सुनार अपने पुत्र देवदिन्न और व्यभिचारिणी पुत्रवधू दुर्गिला के साथ रहता था । एक दिन देवदत्त अपनी पुत्रवधू
Jain Education International
५७
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org