SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यथावत ८० महाप्राणों की स्थिति इस प्रकार है - वसुदेवहिण्डी पउमचरियं उपदेशमाला (प्रतिशत) (प्रतिशत) (प्रतिशत) २० २८.६ "ह" में परिवर्तन द्वित्व उपरोक्त तालिका के अनुसार उपदेशमाला में वसुदेवहिण्डी और पउमचरियं की अपेक्षा अल्पप्राण व्यंजन यथावत् कम हैं और घोष और लोप ज्यादा हुए हैं । जबकि दूसरी तालिका के अनुसार महाप्राण की यथावत् स्थिति वसुदेवहिण्डी से कम तथा पउमचरियं से कुछ अधिक है और "ह" में परिवर्तन वसुदेवहिण्डी से ज्यादा और पउमचरियं से कम है । रूप रचना सप्तमी एकवचन की विमक्ति उपदेशमाला में पुंलिंग नाम शब्दों के लिए दो विभक्तियाँ - "ए" और "-म्मि" मिलती हैं जिनका तुलनात्मक प्रयोग पउमचरियं के साथ इस प्रकार दर्शाया जा सकता है वसुदेवहिण्डी पउमचरियं उपदेशमाला (प्रतिशत) (प्रतिशत) (प्रतिशत) -ए विभक्ति -म्मि सर्वनाम अस्मत् के तृतीया एकवचन के लिए “मए" और "मे" की स्थिति उपरोक्त तीनों ग्रन्थों में इस प्रकार मिलती है वसुदेवहिन्डी पउमचरियं उपदेशमाला (प्रतिशत) (प्रतिशत) (प्रतिशत) २० २२.५ ७७.८ २२.५ २२.२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001706
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorDharmdas Gani
AuthorDinanath Sharma
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2000
Total Pages228
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, literature, & Sermon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy