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पडिओम
पतितोऽस्मि (२५६)
म्हि = दिक्खिओम्हि - दीक्षितोऽस्मि (२२)
भविष्यत् काल के रूप सामान्यतया -स्स और - हि जोड़कर बनाये गये हैं । कुछ अन्य प्रयोग इस प्रकार के भी मिलते हैं
वोच्छामि - वक्ष्ये (१)
लम्भिहिसि लप्स्यसे (५२२)
कभी-कभी एक काल के प्रत्यय अन्य काल के लिए भी प्रयुक्त मिलते हैंलप्स्यसे (२९२)
लब्भिसि ( वर्तमान काल )
भूतकाल के लिए सी - सि प्रत्ययों के प्रयोग मात्र दस ही प्राप्त होते हैं जो अस् और कृ धातुओं तक ही सीमित हैं, यथा
कासी - अकार्षीत् (१४६)
आसी - आसीत् ( १७, ३५)
आसि - आसीत् (४४, ५३, १०६, १५१ )
प्रयोग बहुवचन के लिए भी हुआ है
आसन् (११०)
इसका
आसि
विधिलिङ्
अन्य पुरुष के लिए प्राय: ज और -ज्जा प्रत्यय ही पाये जाते हैं, ए प्रत्यय वाले रूप भी प्राप्त होते हैं, जो इस प्रकार हैं
भवे भवेत् (३४१, ३९७)
करे - कुर्यात् (२५८)
देसे - देशयेत् (४०६ )
निखिवे - निक्षिपेत् (४८४)
-ज्ज प्रत्यय मध्यम पुरुष एकवचन के लिए भी प्रयुक्त हैं - हवेज - भवे: ( २२७)
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