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वैयाकरण शिरस् शब्द को नपुं० ही मानते हैं लेकिन यह अकारान्त ही प्रयुक्त होता है, लेकिन यहाँ पर पुंलिंग की तरह ही प्रयुक्त हुआ है ।
तृतीया विभक्ति
पुं० नपुं. अकारान्त एकवचन के लिए -एण और -एणं विभक्तियाँ क्रमश: १०९ और १८ बार (८५.८% और १४.२%) प्रयुक्त हुई हैं ।
इकारान्त पुं० के लिए - णा विभक्ति नरवइणा ( नरपतिना ) ११३ व्यञ्जनान्त पुं० और नपुं० शब्दों की निम्न विभक्तियाँ पायी जाती हैं -
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मणसा ( मनसा ) ४४५
परसिणा (प्रदेशिना ) १०३
अप्पणा ( आत्मना ) २३८
तवेण (तपसा) १८४, ३३१
तवेणं (तपसा ) ४४
स्त्रीलिंग एकवचन की सामान्य विभक्ति - ए पायी जाती है । इसे अतिरिक्तइ विभक्ति के कुछ उदाहरण निम्नवत् हैं
विजाइ (विद्यया ) ३३१
परिपालणाड़ (परिपालनया ) ४२९
बुद्धि (बुद्ध्या ) ४१४
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कुले (कुलानि ) ३६३ सिरे (शिरांसि ) ५१८
आ
णा
एण
एणं
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=
चतुर्थी विभक्ति
अकारान्त एकवचन के लिए आए विभक्ति अट्ठाए (अनर्थाय ) ३६९
अट्ठा ( अर्थाय ) ४४७
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