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अवशिष्ट अ आ की प्राय: "य" श्रुति हुई है, यथा
परियच्छति = परिगच्छति (८३) अगीय - अगीत
(४०७) उज्जुयं - ऋजुकम्
(३९३) पूया - पूजा
(४९२) अचेयणो - अचेतन:
(३५९) ओ = लोयं - लोचम्
(३५६) अ आ के सिवाय अन्य स्वरों के बाद उद्वृत्त अ आ की जो य श्रुति हुई है वह कुल य श्रुतियों का ५३.७% है ।
इसके विपरीत कुछ ऐसे भी परिवर्तन हैं, जिनमें इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ स्वर पूर्व में होने पर अवशिष्ट अ आ यथावत् रहते हैं । ऐसा परिवर्तन य श्रुति की कुल संख्या का .४% (कुल ४ बार) है । द्रष्टव्य हैउअहि - उदहि
(१०६, २१९) बुन्बुअ - बुबुद
(२०८) मेअज - मैतार्य
(३३३)
तालिका नं. २ कुल अल्पप्राणों की "य" श्रुति की स्थिति
कुल प्रयोग
प्रतिशत ४५.९% ५३.७%
४२४
अ आ के बाद अवशिष्ट अ आ की "य" श्रुति अ आ के अतिरिक्त अन्य स्वरों के बाद अवशिष्ट अ आ की य श्रुति अ आ के बाद अतिरिक्त अन्य स्वरों के बाद अवशिष्ट अ आ यथावत्
.४%
योग
२२
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