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(४) बृहत्कल्पभाष्य ६१०२-४. (५) आवश्यकचूर्णि II, पृ० ७७. (६) वही, वृत्ति - हरिभद्र, पृ० ५७७.
१२१. बृहत्कल्पभाष्य, १३४९-५१.
१२२. (१) आवश्यकचूर्णि II, पृ० ३६, १७७-१७८, १, पृ० ५५९.
(२) वही, निर्युक्ति, ११९१.
(३) स्थानांगवृत्ति - अभयदेव, पृ० ४७४.
(४) संस्तारक ५६.
(५) नन्दीसूत्रवृत्ति - मलयगिरि, पृ० १६६.
१२३. पुष्पचूला के पिता ने ही आचार्य से उसके स्वप्न की बात पूछी ( अर्थात् पुष्पचूला की दीक्षा के समय उसके पिता जीवित थे )
(१) आवश्यकचूर्णि II, पृ० ३६, १७७-१७८, १, पृ० ५५९.
(२) वही, नियुक्ति १९९१.
(३) स्थानांगवृत्ति - अभयदेव, पृ० ४७४.
(४) संस्तारक ५६.
(५) नन्दीसूत्रवृत्ति - मलयगिरि, पृ० १६६.
१२४. (१) आवश्यकचूर्णि I, पृ० ५५९, II, पृ० ३६, १७७-१७८.
(२) वही, निर्युक्ति ११९१.
(३) स्थानांगवृत्ति - अभयदेव, पृ० ४७४.
(४) संस्तारक ५६.
(५) नन्दीसूत्रवृत्ति - मलयगिरि, पृ० १६६.
१२५. आवश्यकनिर्युक्ति, पृ० ११९०-९१.
(२) बही, चूर्णि II, पृ० ३६, १७७. (३) वही, वृत्ति - हरिभद्र, पृ० ४२९-३०. ( ४ ) निशीथचूर्णि II, पृ० २३१. (५) संस्तारक ५६-७.
१२६. (१) आवश्यकचूर्णि I, पृ० १८१, ११, पृ० २१२.
(२) वही, निर्युक्ति, ३४४.
(३) विशेषावश्यकभाष्य १५७९, १७२५. (४) कल्पसूत्रवृत्ति विनय विजय, पृ० २४०. (५) वही, वृत्ति - धर्मसागर, पृ० १५७.
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