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जैन दर्शन
अवधि या मनः पर्ययज्ञानादि की प्राप्ति रूप ऋद्धि-सिद्धि उपलब्ध न होने पर मुनि का श्रवान विचलित हो सकता है कि ये सब सिद्धियां प्राप्य हैं या नहीं, केवलज्ञानी ऋषि, मुनि, तीर्थंकरादि हुए हैं या नहीं, यह सब तपस्या निरर्थक ही है, ऐसी अश्रद्धा उत्पन्न न होने देना अवर्शन-विजय है (२२)। ये बाईस परीषह-जय मुनियों की विशेष साधनाएं हैं, जिनके द्वारा वह अपने को पूर्व इन्द्रिय-विजयी व योगी बना लेता है ।
१० धर्म
उपयुक्त बाईस परीषहों में मन को उभाड़ कर विचलित करके, रागद्वेष रूप दुर्भावों से दूषित करनेवाली जो मानसिक अवस्थाएं हैं उनके उपशमन के लिये दश-धर्मों और बारह अनुप्रेक्षाओं (भावनाओं) का विधान किया गया है। धर्मों के द्वारा मन को कषायों को जीतने के लिये उनके विरोधी गुणों का अभ्यास कराया जाता है; तथा अनुप्रेक्षाओं से तत्व-चिन्तन के द्वारा सांसारिक वृत्तियों से अनासक्ति उत्पन्न कर वैराग्य की साधना में विशेष प्रवृत्ति कराई जाती है । दश धर्म हैं-उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य । क्रोधोत्पादक गाली-गलौच, मारपीट, अपमान आदि परिस्थितियों में भी मन को कलुषित न होने देना क्षमा धर्म हैं। (१) कुल, जाति, रूप, ज्ञान, तप, वैभव, प्रभुत्व एवं शील आदि संबंधी अभिमान करना मद कहलाता है । इस मान कषाय को जीतकर मन में सदैव मृदुता भाव रखना मार्दव धर्म है । (२) मन में एक बात सोचना, वचन से कुछ और कहना तथा शरीर से करना कुछ और, यह कुटिलता या मायाचारी कहलाती है। इस माया कषाय को जीतकर मन-वचन-काय की क्रिया में एकरूपता (ऋजुता) रखना आर्जव धर्म है। (३) मन को मलिन बनाने वाली जितनी दुर्भावनाएं हैं उनमें लोभ सबसे प्रबल अनिष्टकारी हैं । इस लोभ कषाय को जीतकर मन को पवित्र बनाना शौच धर्म हैं। (४) असत्य वचन की प्रवृत्ति को रोककर सदैव यथार्थ हित-मित-प्रिय वचन बोलना सत्य धर्म है। (५) इन्द्रियों के विषयों की ओर से मन की प्रवत्ति को रोककर उसे सत्यप्रवृत्तियों में लगाना संयम धर्म है। (६) विषयों व कषायों का निग्रह करके आगे कहे जानेवाले बारह प्रकार के तप में चित्त को लगाना तप धर्म है। (७) बिना किसी प्रत्युपकार व स्वार्थ भावना के दूसरों के हित व कल्याण के लिये विद्या आदि का दान देना स्याग धर्म है । (८) घर-द्वार, धन-दौलत, बन्धु-बान्धव, शत्रु-मित्र सबसे ममत्व छोड़ना, ये मेरे नहीं हैं, यहां तक कि शरीर भी सदा मेरे साथ रहनेवाला नहीं
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