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________________ १६४ जैन साहित्य सर-चरिउऔर श्रीपाल-चरिउ (१५ वीं शती), नरसेन कृत सिरिवाल-चरिउ (वि० सं० १५७६) व गावयकुमार च० (वि० स० १५७९), तथा भगवतीदास कृत ससिलेहा या मृगांभलेखा-चरिउ (वि० स० १७००) उल्लेखनीय हैं । हरिदेव कृत मयण-पराजय और अनप्रभसूरि कृत मोहराज-विजय ऐसी कविताएं हैं, जिनमें तप. सयम आदि भावों को मूर्तिमान् पात्रों का रूप देकर मोहराज और जिनराज के बीच युद्ध का चित्रण किया गया है । अपनश लघुकथाएं जैसा पहले कहा जा चुका है, ये चरित्र-काव्य किसी न किसी जैन व्रत के माहात्म्य को प्रकट करने के लिये लिखे गये हैं। इसी उद्देश्य से अनेक लघु कथाएं भी लिखी गई हैं। विशेष लघुकथा-लेखक और उनकी रचनाएं ये हैं:नयनंदि कृत 'सकलविधिविधानकहाँ' (वि० सं० ११००), श्रीचन्द्र कृत कथाकोष और रत्नक रंउशास्त्र (वि० सं० ११२३), अमरकीर्ति कृत छक्कम्मोवएसु (वि० सं० १२४७), लक्ष्मण कृत अणुवय-रयए-पईउ (वि० सं० १३१३), तथा रयधू कत पुण्णासबकहाकोसो (५ वीं शती)। इनके अतिरिक्त अनेक व्रतकथाएं स्फुट रूप से भी मिलती हैं : जैसे बालचन्द्र कृत सुगंधदहमीकहा एवं णिद्दहसत्तमीकहा, विनय चन्द्र कृत णिज्झरपंचमीकहा, यश:कीर्ति कृत्त जिणररितविहाणकहा व रविव्रतकहा, तथा अमरकीति कृत पुरंदरविहाणकहा, इत्यादि । इनमें से कुछ जैसे विनयचन्द्र कृत णिज्झर-पंचमी-कहा, अपभ्रश में गीतिकाव्य के बहुत सरस और सुन्दर उदाहरण हैं। एक अन्य प्रकार की अपभ्रंश कथाएं भी उल्लेखनीय हैं । हरिभद्र ने प्राकृत में धूर्ताख्यान नामसे जो कथाएँ लिखी हैं, उनमें अनेक पौराणिक अतिरंजित बातों पर व्यंगात्मक भाख्यान लिखे हैं । इसके अनुकरण पर अपभ्रंश में हरिषेण ने धम्मपरिक्खा नामक ग्रन्थ ११ संधियों में लिखा है, जिसकी रचना वि. स० १०४४ में हुई है। इसी के अनुसार श्रुतकीर्ति ने भी धम्मपरिक्खा नामक रचना १५ वीं शती में की। प्रथमानुयोग-संस्कृत जिस प्रकार प्राकृत में कथात्मक साहित्य का प्रारम्भ रामकथा से होता है उसी प्रकार सस्कत में भी पाया जाता है। रविषेण कृत पदमचरित की रचना स्वयं ग्रन्थ के उल्लेखानुसार वीर निर्वाण के १२०३ वर्ष पश्चात् अर्थात् ई० सन् ६७६ में हुई । यह ग्रन्थ बिमलसूरि कृत 'पउमचरियं को सम्मुख रखकर रचा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001705
Book TitleBharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherMadhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal
Publication Year1975
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Culture, Religion, literature, Art, & Philosophy
File Size10 MB
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