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________________ पृष्ठांक ३६३ ५५ ५. ३७ काही " ( १६ ) शब्द अर्थ पृष्ठांक शब्द अर्थ कसट (पै०) कष्ट ६८ काल २१० कसण-काला रंग कालअ%Dकाला कसाय-क्रोध, लोभ, वगैरह कषाय ४३ कालाओ कसिण-काला रंग कालायस काला लोहा कसिबल २०० कालास " कस्ट ( मा०) कष्ट कास-कांस्य-कांसा धातु विशेष ६८ कह=किस प्रकार, क्यों २७ कासा-कृश-दुर्बल स्त्री १८, १६३ कासी काशी-बनारस कह , ९८, ३३१, ३६३ काहल-कायर कहंपि-कथमपि-किसी भी प्रकार से ६६ काहीपण-कर्षापण-सुवर्ण का सिक्का ८१ कहमवि , काहिइ(क्रि०) करेगा ६३ कहा-कथा-वार्ता ६३ कहि २८३ कि-क्या, क्यों कहि २८३, २६४ कि एन्क्या यह ८७ कहिअ-कथित-कहा हुआ ३४ किंणेदं (शौ०), कह (धा०) १५६, ३३२ किं पि-कुछ भी काअ-काक-काग-कौआ६२ किंसुअ-पलाश का फूल काअव्वं ३७० अथवा वृक्ष २२,६८ काउँअ-कामुक-लंपट ५० कि क्या, क्यों ६७ कांबलिअ २५५ किच्चं ३७० काठ ( चू० पै०) गाढ-गाढ़ा ३८ । किच्चा-कृत्वा-करके काणीण ३५७ किच्चाण ३६८ कातव्वं ३७० किच्ची चमड़ा काम १८७ किटि (सं०) सूअर काय १८६ किडि-सूअर कायव्वं ३७० कित्ति कीर्ति ६७, ३१६ कारण २११ किण (धा०) ३२४ ७. m m mr ७५ પૂ૨ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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