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________________ ( ३६१ ) नव् + इर-नविरो (नम्रः-नमनशोलः) = झुकने वाला नमन शील, हसिरा, हसिरी (हसनशीला) = हँसनेवाली । नविरा, नविरो, इत्यादि (नम्रा-नमनशोला) = नमनशीला । इसी प्रकार नपुं० हसिरं, नविरं रूप भी समझ लेवें। अनियमित कर्ट दर्शक कृदन्त पायगो, पायप्रो (पाचकः)= पकाने वाला, रसोइया । नायगो, नायगो (नायकः) = नायक, नेता, नेतृत्व करने वाला। नेपा, नेता (नेता)= विज्ज (विद्वान्) = विद्वान् । कत्ता (कर्ता)= कर्ता। विकत्ता (विकर्ता) = विकार करने वाला। वत्ता (वक्ता) = वक्ता-बोलने वाला । हंता (हन्ता) = हन्ता, मारने वाला। छेत्ता (छेत्ता) = छेदन करने वाला। भेत्ता (भेत्ता) = भेदन करने वाला। कुम्भारो (कुम्भकारः) = कुम्हार । कम्मगरो (कर्मकरः) = काम करने वाला, श्रमिक । भारहरो (भारहरः) = भार उठाने वाला, मजदूर । थपंधयो स्तनंधयः) = बालक, मां के स्तन से दूध पीने वाला बच्चा, - छोटा बच्चा। परंतवो (परंतपः) = शत्रु को तपाने वाला, प्रतापी । लेहरो (लेखकः) = लेखक, इत्यादि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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