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________________ ( ३६० ) कर् धातु - पुं० - करिस्तो ( करिष्यन्ः ) = करता होगा | करिस्समाणो ( करिष्यमाणः ) ु नपुं करिस्तं ( करिष्यत् ) करिस्मा ( करिष्यमाणम् ) —- स्त्री० - करिस्सई करिस्संती करिस्संता इत्यादि सब रूप समझ लेवें । स्त्री 01 " " ) ( करिष्यन्ती ) = करती होगी । करिस्समाणी ( करिष्यमाणा ) करिस्समाणा "3 प्रेरक भविष्यत्कृदन्त पुं० - कराविस्संतो ( कारापयिष्यन् ) = करवाता होगा | -कराविस्समाणो ( कारापयिष्यमाणः ) "" नपुं० – कराविस्तं ( कारापयिष्यत् ) कराविस्समाणं (कारापयिष्यमाणम् ) इत्यादिक रूप भी समझ लेवें । 71 Jain Education International ܙ, कराविस्तृत) } ( कारापयिष्यन्तो ) = करवाती होगी। कराविस्समाणा ( कारापयिष्यमाणा ) "" " कर्तृ दर्शक कृदन्त १ मूल धातु में 'इर' " प्रत्यय लगाने पर कतदर्शक कृदन्त बनते हैं । जैसे - हस् + इर हसिरो ( हसनशीलः) = हँसने वाला । १. हे० प्रा० व्या० ८।२।१४५ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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