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________________ ( ३५१ ) * 'तद्धित' प्रत्ययों का उदाहरण 1 १ १. ' उसका यह ' -- इस अर्थ में 'केर' प्रत्यय लगता है । जैसेअम्ह + केरं = अम्हकेरं ' ( अस्माकं इदम् - अस्मदीयम् ) = हमारा | तुम्ह + केरं = तुम्हकेरं ( युष्माकम् - इदम् = युष्मदीयम् ) = तुम्हारा । पर + केरं = परकेरं ( परस्य इदम् = परकीयम् ) = पराया | राय + के रं = रायकेरं ( राज्ञः इदम् = राजकीयम् ) = राजा का । २. 'तत्र भवं' – 'उसमें होने वाला' अर्थ में 'इल्ल' और 'उल्ल' प्रत्ययों का उपयोग होता है। जैसे --- गाम + इल्ल = गामिल्लं ( ग्रामे भवं = ग्राम में होनेवाला । घर + इल्ल = घरिल्लं ( गृहे भवं ) = घरेलू, घर में होने वाला । अप्प + उल्ल = अप्पुल्लं ( आत्मनि भवं ) = आत्मा में होनेवाला । नयरं + उल्ल = नयरुल्लं ( नगरे भवं ) = नगर में होनेवाला । ३. 'इव'' उसके जैसा' अर्थ में 'व्व' प्रत्यय का उपयोग होता है । यथा : महुर व पाडलिपुते पासाया ( मथुरावत् पाटलिपुत्रे प्रासादा: ) । ४. 'इमा'', 'त्त', 'त्तण' प्रत्यय 'भाव' अर्थ का सूचक है । जैसे पीणा + इमा = पीणिमा ( पोनिमा- पीनत्वम् ) = पीनत्व, पीनता, मोटापा, मोटापन | * पालि भाषा में तद्धित प्रत्ययों की समझ के लिए संकीर्णकल्प में आया हुआ 'तद्धित' का प्रकरण देखना चाहिए ( देखिए पा० प्र० पृ० २५-२६१ ) । १. हे० प्रा० व्या० ८।२।१४७ । २. हे० प्रा० व्या० ८।२।१६३ । ३. ८।२।१५० । ४. हे० प्रा० व्या०८।२।१५४ । ★ 'भाव' अर्थ में पालि में भी 'त्तन' प्रत्यय होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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