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________________ ( १६० ) स्वरान्त धातुओं के बिना विकरण के रूप : १. पु० होमि । होमो, होमु, होम। २. पु० होसि । होह, होइत्था । ३. पु० होइ, होति । होंति, हुंति, होन्ति, हुन्ति, होन्ते, हुन्ते, होइरे। सर्व पुरुष को सोना सर्व वचन होज्ज, होज्जा। बहुवचन स्वरान्त धातुओं के विकरण वाले रूप : एकवचन १. पु० होअमि, होआमि, होएमि । होअमो, होआमो, होइमो, होएमो, होअमु, होआमु, होइमु, होएमु, होअम, होआम, होइम, होएम । २. पु० होअसि, होएसि, होअसे, होअह, होएह, होअइत्था, होएहोएसे। इत्था । ३. पु० होअइ, होएइ, होअए, होअंति, होएंति, होइंति, होते, होएए, होअति, होएति । होअंते, होएते, होअइरे, होएइरे । सर्व पुरुष दोएज्ज, होएज्जा सर्व वचन हा प्रश्न १. प्राकृत भाषा में कौन-कौन से स्वरों का प्रयोग नहीं होता ? जिन स्वरों का प्रयोग नहीं होता, उनके स्थान पर कौन-कौन से स्वर प्रयुक्त होते हैं ? उदाहरण सहित समझाओ। २. निम्नलिखित शब्दों के प्राकृत में रूप बताओ? मृत्तिका, ताम्बूल, कीदृश, दैत्य, पौर, कौमुदी, तमस् , तीर्थकर, गोष्ठी, नग्न, चन्द्र। ३. निम्नलिखित शब्दों के संस्कृत रूप बताओ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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