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प्रा.
( १२६ ) संस्कृत और प्राकृत में स्वरों का
समान परिवर्तन १. 'अ' का लोप:
सं०
अलावू, लावू । देखिए-पृ० १९ 'अ' का लोप। २. 'अ' को 'आ :पति-पाति ।
देखिए-पृ० १७ नि० १। ३. 'अ' को 'इ' :
कन्दुक, गिन्दुक । देखिए-पृ० १७ 'अ' को 'इ'। ४. 'आ' को 'अ' :
कुमार, कुमर फाल, फल
देखिए -पृ० १३ नि० ३ । कलाज्ञ, कलज्ञ) ५. 'इ' को 'अ' :
सं० पेटिक, पेटक
देखिए-पृ० २१ नि० ३॥ ६. 'इ' को 'ए' :
प्रा० मुहिर, मुहेर
देखिए-पृ. २२ 'इ' को 'ए'। गिन्दुक, गेन्दुक
प्रा०
सं०
१. अर्थात् वैयाकरण जिसको अवैदिक संस्कृत कहते हैं ऐसी
प्राचीन पुरोहितों की पंडिताऊ संस्कृतभाषा के शब्दों के साथ भी प्राकृतभाषा के शब्दों की तुलना।
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