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________________ ( ६६ ) १२. किसी भी पद के बाद में आये हुए 'अपि' अथवा 'अवि' अव्यय के 'अ' का विकल्प से लोप होता है। जैसे :'किं + अपि = किंपि, किमवि। केण + अवि = केणवि, केणावि । केहं + अपि = कहंपि, कहमवि । १३. किसी भी पद के बाद में आये हुए 'इति' अव्यय के 'इ' का लोप हो जाता है। जं + इति = जंति । जुत्तं + इति = जुत्तंति । दि+ इति = दिटुंति । १४. यदि स्वरान्त पद के पश्चात् 'इति' अव्यय आ जाय तो 'इ' का लोप होने पर 'ति' का डबल (द्वित्व) 'त्ति हो जाता है। तहा + इति = तहत्ति । पुरिसो + इति = पुरिसोत्ति । पिओ + इति= पिओत्ति । १५. भिन्न-भिन्न पदों में अ अथवा आ से परे इ अथवा ई हो तो 'ए' (गुण) हो जाता है। न + इच्छतिनेच्छति । जाया + ईस जायेस । वास + इसि वासेसि । खट्टा + इह = खट्टेह ( खट्वा + इह )। दिण + ईस= दिणेस । १६. भिन्न-भिन्न पदों में अ और आ के बाद उ अथवा ऊ रहने पर 'ओ' (गुण) हो जाता है। जैसे :सिहर + उवरि = सिहरोवरि। गंगा + उवरि = गंगोवरि । एग + ऊण = एगोण। वीस + ऊण = वीसोण । पाअ + ऊण = पाओण । पउन (तीन पाव ) १७. पद के अन्तिम 'अ' का अनुस्वार होता है। जलम् = जलं । फलम् = फलं । गिरिम् = गिरि । १. हे० प्रा० व्या० ८।११४१ । २-३. हे० प्रा० व्या० ८।१।४२ । ४. देखिये-नियम (२)। ५-६. सि० हे० सं० व्या० १।२।६ । . ७. हे० प्रा० व्या० ८।१।२३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001702
Book TitlePrakritmargopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1968
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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